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दुनिया का पहला ‘टच द सन’ मिशन लांच, सूर्य के पास रहकर करेगा अध्ययन

नासा का मिशन पार्कर सोलर प्रोब का ‘टच द सन’ मिशन रविवार को अपने ऐतिहासिक सफर पर रवाना हो गया। 1.5 अरब डॉलर की लागत से तैयार यह मिशन 24 घंटे की देरी से रवाना हुआ।  इस मिशन को 12 अगस्त को ईस्टर्न डे टाइम के अनुसार 3.31 बजे केप कानावेरल एयरफोर्स स्टेशन से रवाना किया गया।

कार के आकार वाला यह यान 4.30 लाख मील प्रति घंटे की रफ्तार से सूरज के 24 चक्कर लगाएगा। सूरज तक पहुंचने की इस यात्रा के दौरान यह यान कई ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण मार्ग से होकर गुजरेगा। इसमें बुध ग्रह का गुरुत्वाकर्षण मार्ग भी इसकी मदद करेगा।

सूरज के इतने करीब पहुंचने वाला यह अब तक पहला यान होगा। इससे पहले लांच किए गए मिशन सफल नहीं हो सके थे। इससे पहले शनिवार को तकनीकी कारणों से इसे लॉन्च नहीं किया जा सका था।

सूर्य के नजदीक सात साल करेगा अध्ययन
पार्कर सोलर प्रोब सात साल तक सूरज के इर्दगिर्द चक्कर लगाते हुए अध्ययन करेगा। यह यान सूरज की बाहरी परत कोरोना के नजदीक रहेगा। कोरोना का ही तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस होता है। हालांकि कोरोना को पार करने के बाद सूरज की परत का तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस होता है। कोरोना को इनसानी आंखों से सूर्य ग्रहण के दौरान देखा जा सकता है। यह धुंधला सा झिलमिलाता वातावरण होता है।

उड़नतश्तरी बनेगी सन प्रोब की सनस्क्रीन

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पार्कर सोलर प्रोब को सूरज के अत्यधिक तापमान से बचाने के लिए 8 फुट की उड़न तश्तरी बनाई है। एपीएल में मिशन प्रोजेक्ट साइंटिस्ट निकी फॉक्स ने बताया कि उनकी टीम ने इस रक्षा कवच को उड़न तश्तरी नाम दिया है।

इसे एक दशक की मेहनत के बाद बनाया जा सका है। यह 4.5 इंच मोटी कार्बन फोम की परत है। यान का जो हिस्सा सूरज की तरफ होगा उस पर सफेद सेरामिक पेंट की परत चढ़ाई गई है, ताकि यह सूरज की गर्मी को वापस भेज सके। 8 फुट चौड़ाई वाली इस सुरक्षा परत का वजन तकरीबन 73 किलोग्राम है। यह सूरज के भयंकर तापमान और पार्कर प्रोब के बीच मजबूती से बनी रहेगी।

भौतिकशास्त्री के नाम पर विमान का नाम
इस यान का नाम फिजिसिस्ट यूजीन न्यूमैन पार्कर के नाम पर रखा गया है। इन्होंने तारों द्वारा ऊर्जा संचारित करने की कई अवधारणाएं पेश की थीं। नासा के इस यान का नाम पहली बार किसी जीवित वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया है। 91 साल के पार्कर ने पिछले साल इस यान को देखा था, जिसके ऊपर उनके नाम का अंतिम हिस्सा अंकित है।

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