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देश में उफान पर नदियां, बाढ़ के पानी में डूबा गांव

नई दिल्ली : उत्तर भारत के राज्यों में मानसूनी बारिश से राहत के साथ आफत भी बरपी है। बारिश होने से नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। मैदानी इलाकों में जलजमाव से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। जबकि पहाड़ों में भूस्खलन के साथ ही सड़कें टूटने लगी हैं। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में काफी बारिश होने की खबर है। मिजोरम में भारी बारिश के कारण तुलबुंग शहर बाढ़ में पूरी तरह से डूब गया है। यहां हालात की स्थिति तस्वीरों को देखकर ही साफ समझी जा सकती है। मध्य प्रदेश के एक गांव में लोग एक क्षतिग्रस्त लकड़ी के पुल से नदी को पार करने को मजबूर हैं। दमोह जिले के पिपरिया गांव में स्थानीय लोगों ने एक क्षतिग्रस्त लकड़ी के पुल पर एक नदी को पार किया। लोगों का कहना है, ‘हम रोज अपने जीवन को जोखिम में डालते हैं। कई लोग पार करते समय गिर जाते हैं। वहीं इस घटना पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी पथरिया पंचायत का कहना है कि ‘आरईएस एजेंसी ने शायद आधा निर्माण किया है। हम इसे पूरा करने के लिए लिखेंगे।’ वहीं, झारखंड में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं। झारखंड के गिरिडीह जिले में नदी में अचानक आई बाढ़ से एक बड़ा हादसा होते-होते रह गया। गिरिडीह जिले के बरगंडा में उसरी नदी में जल स्तर अचानक बढ़ जाने के कारण एक ट्रैक्टर और उसका ड्राइवर फंस गया, चालक को बाद में पोकलेन मशीन की मदद से सुरक्षित बचा लिया गया। ट्रैक्टर को भी नदी से बाहर लाया गया। बता दें कि भारी बारिश के चलते देश की कई नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी देखी गई है। देश के कई इलाकों में बाढ़ का भी खतरा मंडरा रहा है। असम में भी इन दिनों बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं।गुवाहाटी से होकर बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी का जल स्तर चेतावनी स्तर को पार कर जाता है। अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अनुभाग अधिकारी वी गांधी ने कहा है, ‘पानी चेतावनी स्तर को पार कर गया है, यह अभी भी खतरे के स्तर पर नहीं है। 1-2 दिनों में, यह यहाँ खतरे के स्तर को भी पार कर सकता है।’ असम के 33 जिलों में से आधे जिले बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। इन जिलों के कई लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक, ब्रह्मपुत्र नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण कई जिलों में बाढ़ आ गया है। इस कारण कई लाख लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बाढ़ के कारण कई हजारो हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है। नदी के कटाव के कारण कई गांवों पर अस्तित्व बचाने का खतरा मंडरा रहा है। 50 से अधिक सड़कें और दर्जन भर पुल पानी में डूबे हैं। उत्तर भारत के राज्यों में मानसूनी बारिश से जहां राहत के साथ आफत भी बरपी है। बारिश होने से नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। मैदानी इलाकों में जलजमाव से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। जबकि पहाड़ों में भूस्खलन के साथ ही सड़कें टूटने लगी हैं। यही नहीं बारिश के बाद उमस से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। उत्तर प्रदेश में मानसूनी बारिश का असर दिखने लगा है। लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश से गुरुवार को नदियों का जलस्तर और बढ़ गया। बहराइच, बलरामपुर और बाराबंकी जिले के तटवर्ती गांवों में बाढ़ के साथ कटान का खतरा भी मंडराने लगा है। हालांकि प्रशासन ने बचाव के लिए अलर्ट का दावा किया है।सबसे ज्यादा खराब स्थिति बहराइच की है। यहां नेपाल में हो रही बारिश का असर देखा जा रहा है। वहीं 13 जुलाई तक बिहार के अधिकांश हिस्सों में चक्रवात के साथ बारिश होने की संभावना है। उत्तर बिहार और गंगा के तटीय क्षेत्र में कुछ जगहों पर भारी वर्षा हो सकती है। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है। दक्षिण-पश्चिम मानसून बिहार में 14 जुलाई से कमजोर पड़ेगा। पिछले कई दिनों से उत्तर बंगाल के विस्तृत इलाके में लगातार हो रही बारिश की वजह से बीरभूम में बाढ़ के हालात बन गए हैं। जिले से होकर बहने वाली अजय नदी में पानी खतरे का निशान पार करते हुए आसपास के गांवों में घुस गया है।

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