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नहीं बिके देश के नौ प्रमुख शहरों में चार लाख से ज्यादा किफायती फ्लैट…

किफायती आवास की मांग बढ़ने के बाद भी देश के नौ प्रमुख शहरों में 4.12 लाख ऐसे तैयार अपार्टमेंट हैं जो बिक नहीं पाये हैं। इनकी कीमतें 45 लाख रुपये तक हैं। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। संपत्ति की खरीद-बिक्री संबंधी सेवाएं देने वाली कंपनी प्रॉपटाइगर ने कहा कि नौ प्रमुख शहरों गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलूरू, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद में 7,97,623 ऐसे फ्लैट हैं जो बिक नहीं पाये हैं। कंपनी ने कहा कि इनमें से 4,12,930 फ्लैट की कीमतें 45 लाख रुपये तक हैं और ये किफायती श्रेणी की हैं।

कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल का मानना है कि अब किफायती श्रेणी में आवास की बिक्री में तेजी आएगी। सरकार ने आवास ऋण पर ब्याज में छूट की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर साढ़े तीन लाख रुपये कर दिया है।

इससे पहले जेएलएल ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि रियल इस्टेट बाजार में छाई हुई मंदी के चलते फिलहाल देश के सात सबसे बड़े शहरों में करीब 2.2 लाख फ्लैट का निर्माण अटका पड़ा है। इन फ्लैट का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। इन फ्लैटों की कुल कीमत 1.56 लाख करोड़ रुपये के करीब है।

पहले स्थान पर एनसीआर
रिपोर्ट के मुताबिक पहले स्थान पर दिल्ली-एनसीआर है, जहां पर मौजूद ज्यादातर प्रमुख कंपनियां दिवालिया घोषित हो गई हैं। यहां पर करीब 71 फीसदी फ्लैटों का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है, जो देशभर की कुल कीमत का 56 फीसदी है। दिल्ली एनसीआर के अलावा मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बंगलूरू, हैदराबाद और पुणे भी इस लिस्ट में शामिल हैं। देश के टॉप सात रीजन में फिलहाल ऐसे 220 प्रोजेक्ट हैं, जोकि अभी भी पूरी तरह से बने नहीं हैं। इन प्रोजेक्ट के न बनने से 1.74 लाख लोगों को अभी भी अपने सपनों का आशियाना नहीं मिला है।

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