अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी महाराज ने सजा के फैसले पर कहा कि जो जस करहि सो तस फल चाखा, कर्म प्रधान विश्व रच राखा। जो जैसा कर्म करता है उसे तो उसका फल भोगना ही पड़ता है। सतुआ बाबा आश्रम के महामंडलेश्वर संतोष दास का कहना है कि न्यायपालिका के निर्णय का हम सभी सम्मान करते हैं। जो जैसा कर्म करता है उसको वैसा ही फल प्राप्त होता है। न्याय तो सभी के लिए बराबर होता है। संत विचारों और साधना से बनता है।
हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे ने कहा कि हम लोग आसाराम बापूजी को न्याय दिलाने के लिए लडते रहेंगे। न्यायालय का यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है । इस निर्णय से उच्च न्यायालय में न्याय मांगने का उनका अधिकार समाप्त नहीं हुआ है। सनातन संस्था के चेतन राजहंस का कहना है कि आसाराम बापू को न्याय दिलाने के लिए हम लोग उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उच्च न्यायालय के निर्णय के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय में भी जा सकते हैं ।
जोधपुर कोर्ट से नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले आसाराम के खिलाफ यूपी के भदोही में भी मुकदमा दर्ज है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। मामला तब दर्ज हुआ था जब 2012 में आसाराम सत्संग के सिलसिले में भदोही आया था।
26 अप्रैल 2012 को वाराणसी से लौटते समय गोपीगंज में एक सत्संग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आसाराम आए थे। यहां कवरेज करने गए मीडियाकर्मी रोहित गुप्ता को किसी बात को लेकर आसाराम ने थप्पड़ जड़ दिया था और उसका कैमरा तोड़ दिया गया था।