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नोटबंदी नहीं, एनपीए और रघुराम की वजह से गिरी थी विकास दर


नई दिल्ली : विकास दर में गिरावट नोटबंदी की वजह से नहीं आई, बल्कि ऐसा एनपीए और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की नीतियों की वजह से हुआ। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं कि नोटबंदी और विकास दर गिरावट के बीच कोई संबंध है। नोटबंदी की वजह से विकास दर में गिरावट के आरोपों को लेकर राजीव कुमार ने कहा, यह पूरी तरह से गलत अवधारण है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे लोगों ने भी ऐसा कहा (नोटबंदी से विकास दर में कमी)। यदि आप विकास दर के आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि यह नोटबंदी की वजह से नीचे नहीं आया, बल्कि छह तिमाही से यह लगातार नीचे जा रहा था, जिसकी शुरुआत 2015-16 की दूसरी तिमाही में हुई थी, जब विकास दर 9.2 फीसदी थी।

इसके बाद हर तिमाही में विकास दर गिरती गई। यह एक ट्रेंड का हिस्सा था, नोटबंदी का झटका नहीं। नोटबंदी और विकास दर में गिरावट के बीच प्रत्यक्ष संबंध का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने विकास दर में गिरावट के लिए एनपीए की समस्या और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को जिम्मेदार बताते कहा, ग्रोथ रेट में गिरावट बैंकिंग सेक्टर में एनपीए समस्या बढ़ने की वजह से आ रही थी। जब यह सरकार सत्ता में आई तो यह आंकड़ा करीब 4 लाख करोड़ रुपया था यह 2017 के मध्य तक बढ़कर साढ़े 10 लाख करोड़ हो गया। रघुराम राजन ने एनपीए की पहचान के लिए नई प्रणाली बनाई थी, और यह लगातार बढ़ता रहा। राजीव कुमार ने आगे कहा, एनपीए बढ़ने की वजह से बैंकिंग सेक्टर ने इंडस्ट्री को उधार देना बंद कर दिया। मीडियम और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री का क्रेडिट ग्रोथ निगेटिव में चला गया, लार्ज स्केल इंडस्ट्री लिए भी यह 1 से 2.5 फीसदी तक गिर गया। भारतीय इकॉनमी के इतिहास में क्रेडिट में आई यह सबसे बड़ी गिरावट थी।

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