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न मोदी न योगी किसी का जादू नहीं चला, तीन राज्यों में भाजपा के हाथ से निकली सत्ता

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी ताकत प्रचार में झोंकी थी, लेकिन इसका उसे फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों से पहले हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच के मुकाबले को रोमांचक बना दिया है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के रुझानों में कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी को पछाड़ते हुए दिख रही है। ऐसा नहीं है कि बीजेपी को ऐसी राजनीतिक तस्वीर का अनुमान पहले से नहीं था। इसलिए केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी इन तीनों राज्यों में पूरे दमखम के साथ प्रचार में उतरी थी। तीनों राज्यों में स्थानीय नेतृत्व के अलावा केंद्रीय नेतृत्व भी जमकर प्रचार में उतरा था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बीजेपी ने चुनाव प्रचार में जमकर इस्तेमाल किया। इन राज्यों में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान कभी कांग्रेस भारी पड़ती दिखी तो कभी बीजेपी, वहीं, कांग्रेस के सामने तीनों राज्यों में गुटबंदी से उबरने की चुनौती भी थी, साथ ही बीजेपी तीनों राज्यों में कांग्रेस के पास सीएम का चेहरा न होने की बात कहकर हमलावर भी होती रही, बीजेपी ने इन राज्यों में अपने फायरब्रांड नेता और योगी आदित्यनाथ से सबसे आगे रखा था। योगी आदित्यनाथ ने तीनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से ज्यादा रैलियां की थीं। 

इन्हीं चुनावों के प्रचार के दौरान योगी ने हनुमान को दलित भी करार दिया था, जिसके बाद कई दिनों तक चर्चा इसी पर केंद्रित रही थी। तीन अहम राज्यों में योगी ने 50 से ज्यादा चुनावी रैलियों को संबोधित किया। सभी राज्यों में प्रचार के लिए योगी की मांग सबसे ज्यादा थी। योगी ने तीनों राज्यों में 53 जनसभाएं कीं, जिनमें छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 21 सभाएं शामिल रहीं, छत्तीसगढ़ में अमित शाह ने 9 जनसभाओं और पीएम मोदी ने 4 सभाओं को संबोधित किया। इसी तरह, मध्य प्रदेश में यूपी के सीएम ने 15 जनसभाओं को संबोधित किया।

राज्य में अमित शाह ने 25 रैलियों और प्रधानमंत्री ने 10 सभाओं को संबोधित किया था। साफ है कि तीन बार से सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए इस राज्य में चुनौती काफी बड़ी थी, इसलिए पार्टी ने यहां पर काफी समय और संसाधन खर्च किए थे। राजस्थान की बात करें तो यहां पर भी योगी और पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा जनसभाएं कीं, यहां योगी ने 17 जनसभाओं को संबोधित किया जबकि पीएम ने 10 जनसभाएं कीं. इतनी कोशिशों के बावजूद बीजेपी को अपेक्षित नतीजे मिलते नजर नहीं आ रहे हैं।

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