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परिचालन लागत घटाकर 500 करोड़ बचाने की फ़िराक में एयर इंडिया

राष्ट्रीय विमान वाहक कंपनी एयर इंडिया ने अपने वेंडरों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ फिर से समझौता की शर्तो को लेकर ‘दुबारा बातचीत’ करेगी, ताकि कम से कम समय में परिचालन लागत में 500 करोड़ रुपये तक की कटौती की जा सके। परिचालन लागत घटाकर 500 करोड़ बचाने की फ़िराक में एयर इंडिया

कंपनी के नए अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव बंसल ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी अल्पकालिक लक्ष्य को 12 हफ्तों की समयावधि में पूरा कर लिया जाएगा।

बंसल ने यहां एयर इंडिया के नई दिल्ली-कोपेनहेगन नॉन स्टॉप फ्लाइट के उद्धाटन उड़ान के उतरने के तुरंत बाद आईएएनएस से बातचीत में कहा, “लागत में कटौती और प्रबंधन की हमेशा संभावना होती है। मेरा लक्ष्य यात्रियों को किसी तरह की असुविधा दिए बिना लागत में कटौती करना है।”

उन्होंने कहा, “आंतरिक रूप से हम अपने वेंडरों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ समझौतों को लेकर दुबारा बातचीत कर रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि इस बचत योजना के तहत हर हफ्ते एक प्रमुख कदम उठाया जाएगा।

बंसल ने कहा, “मेरा लक्ष्य लागत में कटौती के लिए हर हफ्ते एक कदम उठाना है, जिससे 10-20 करोड़ रुपये की बचत हो।”

उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए वैश्विक स्तर पर कम ब्याज दर को देखते हुए हम अपने वेंडरों से दुबारा बातचीत करेंगे और थोक छूट की मांग करेंगे।”

इस दौरान केंद्र सरकार जहां घाटे से जूझ रही एयरलाइन के निजीकरण को लेकर विचार-विमर्श में व्यस्त है। वहीं, बचत की पहल के लिए आवश्यक प्रारंभिक समर्थन प्रदान करने पर सहमत हो गई है।

उन्होंने कहा, “हमने करीब 3,000 करोड़ के अल्पावधि ऋण के लिए एक वैश्विक आरएफपी तैयार किया है। मुझे इस माह के अंत तक इसके प्राप्त होने पर पूरा भरोसा है।”

उन्होंने कहा, “ये ऋण सरकार द्वारा समर्थित हैं तथा इससे तेल कंपनियों और एयरपोर्ट ऑपरेटर जैसे विभिन्न वेंडरों का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे कई वेंडरों के साथ अंतिम बार एक बार में मामला निपटाने में मदद मिलेगी।”

एयरलाइन के लिए यह योजना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय वह 50,000 करोड़ रुपये के घाटे में डूबी है।

पिछले 10 सालों से एयरलाइन के बढ़ते ऋण और घाटे के कारण इसकी वित्तीय व्यवहार्यता के लिए सबसे बड़ी बाधा बन गई है और सरकार ने एयर इंडिया की अपनी हिस्सेदारी को बेचने के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी प्रदान कर दी है।

नतीजतन एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया के लिए मंत्रियों के एक समूह का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता वित्तमंत्री अरुण जेटली कर रहे हैं।

विनिवेश के बारे में बंसल का कहना है, “मेरी राय एयरलाइन को चलाने तथा व्यावसायिक विचारों पर है। बचत के अलावा हम आक्रामक रूप से राजस्व अनुकूलन, मार्ग तर्कसंगतता, हमारी परिसंपत्तियों की बेहतर तैनाती और अल्पावधि में नए अंतर्राष्ट्रीय मार्गो को जोड़ने पर विचार कर रहे हैं।”

केंद्र सरकार ने आईएएस अधिकारी को पिछले महीने एयर इंडिया का अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बनाया था।

एयर इंडिया की अपनी वर्तमान जिम्मेदारी के अलावा बंसल पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार भी है।

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