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पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी टाटा की नैनो ने मचाया हडकंप

टाटा ग्रुप के रतन टाटा ने 18 मई 2006 को घोषणा की थी कि वह पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के सिंगुर में करीब 997 एकड़ जमीन पर लखटकिया कार फैक्टरी बनाएंगे। उस समय पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा की सरकार थी और सीएम बुद्धदेब भट्टाचार्य थे।

पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी टाटा की नैनो ने मचाया हडकंपभट्टाचार्य ने सिंगुर के पांच गांव गोपालनगर, सिंघेरभेरी, बेराबेरी, खासेरभेरी और बाजेमेलिया के 9 हजार से अधिक किसानों से लगभग 997 एकड़ जमीन लेने की योजना तैयार की। इनमें से 6 हजार किसानों ने जमीन देने के लिए दस्तावेज पर दस्तखत कर दिए। बाकी किसानों ने जमीन देने से इनकार कर दिया, इसके बावजूद जबरदस्ती उनकी भी जमीन ले ली गई।

टाटा समूह ने जमीन पर कंस्ट्रक्शन शुरू कर दिया था और वर्ष 2008 तक लखटकिया कार बाजार में उतार देने की घोषणा कर दी। यहीं से सिंगुर सियासत का एक बड़ा मंच बन गया।

इस मंच पर तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी का पदार्पण हुआ और उन्होंने नाराज किसानों को साथ लेकर आंदोलन का आगाज कर दिया। बनर्जी ने जमीन देने के अनिच्छुक किसानों की 400 एकड़ जमीन वापसी की मांग पर भूख हड़ताल शुरू कर दिया जो तीन हफ्ते से अधिक दिनों तक चली। उन्हें दूसरी पार्टियों का भी समर्थन मिला।

नैनो कार फैक्टरी स्थापित करने की वाममोर्चा सरकार की सारी कोशिशें नाकाम हो गईं। आखिरकार अक्टूबर 2008 में टाटा समूह ने नैनो फैक्टरी बंगाल से गुजरात के साणंद में स्थानांतरित करने की घोषणा कर दी और इसके लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।

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