राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिला सियोल शांति पुरस्कार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंतरराष्ट्रीय सहयोग में योगदान देने तथा वैश्विक आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए दक्षिण कोरिया के सियोल में शुक्रवार को 2018 का प्रतिष्ठित ‘सियोल पीस प्राइज’ प्रदान किया गया। यहां आयोजित एक भव्य समारोह में मोदी को यह पुरस्कार सियोल पीस प्राइज फाउंडेशन ने प्रदान किया। इस अवसर पर मोदी के जीवन तथा उनकी उपलब्धियों पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई।

मोदी को यह पुरस्कार देते वक्त पुरस्कार समिति ने अपने संभाषण में भारतीय तथा वैश्विक अर्थ व्यवस्थाओं में वृद्धि में उनके योगदान को स्वीकार किया। अमीर और गरीब के बीच की सामाजिक तथा आर्थिक खाई को कम करने के लिए ‘मोदीनॉमिक्स’ को श्रेय दिया। साथ ही समिति ने अन्य देशों के साथ सक्रिय नीति के जरिए क्षेत्रीय तथा वैश्विक शंति के क्षेत्र में उनके योगदान को भी श्रेय दिया।

यह सम्मान पाने वाले मोदी 14वें व्यक्ति हैं। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान, जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल जैसी जानी मानी हस्तियां तथा संगठन यह पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। इस पुरस्कार की स्थापना सियोल में आयोजित 24वें ओलंपिक खेलों की सफलता के जश्न में 1990 में की गई थी।

सियोल शांति पुरस्कार मिलने के बाद मोदी ने कहा, ‘यह पुरस्कार मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि भारत के लोगों को मिला है, उस सफलता को मिला है जो भारत ने पिछले पांच सालों में अर्जित की है। जिसे कि 1.3 बिलियन लोगों के कौशल ने संचालित किया है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।’

पीएम मोदी ने कहा है कि वह पुरस्कार में मिली एक करोड़ से ज्यादा की राशि को नमामि गंगे परियोजना को समर्पित कर देंगे। उन्होंने कहा कि हम गांधी जी की शिक्षा पर आगे बढ़ रहे हैं।
भारत का आर्थिक विकास दुनिया के लिए बेहतर है। मुझे इस बात की खुशी है कि यह पुरस्कार मुझे उस साल मिल रहा है जिस साल हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा, ‘1988 में सियोल ओलंपिक्स से कुछ हफ्ते पहले एक संगठन अल-कायदा का गठन हुआ था। आज कट्टरता और आतंकवाद वैश्विक हो गए हैं और यह विश्व शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं। आतंकी नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म करने के लिए हाथ मिलाने और एकजुट होने का समय आ गया है। केवल ऐसा करने से ही हम नफरत को सद्भाव से बदल सकते हैं।’

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