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पुणे के डॉक्टरों ने कर दिखाया कारनामा, 4 साल की बच्ची का किया स्कल को इम्प्लांट

नई दिल्ली। पुणे के डॉक्टरों ने अद्भुत कारनामा कर दिखाया है। यह कारनामा अपने आप में देश का पहला और एक बड़ी उपलब्धि है। डॉक्टर्स ने एक 4 साल की बच्ची का 60 फीसदी डैमेज हुआ स्कल को इम्प्लांट किया है। ये सर्जरी के दौरान कस्टमाइज थ्री डायमेंशनल पॉलीथीन हड्डी के साथ स्कल को सफलतापूर्वक बदल दिया है। ये सिंथेटिक बोन एक अमेरिकी आधारित कंपनी द्वारा प्रभावित स्कल के माप और आकार के अनुसार बनाई गई थी। डॉक्टर्स ने दावा किया कि यह भारत में पहला स्कल इंप्लांट है। इस बच्ची का पिछले साल कार से एक्सीडेंट हो गया था जिस दौरान उसका स्कल (खोपड़ी) बुरी तरह डैमेज हो गई थी। उस समय डॉक्टर्स ने दो क्रिटिकल सर्जरी करके बच्ची को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी थी। डॉक्टर्स ने बच्ची को दोबारा अस्पताल में भर्ती किया और इस साल मई में इस सर्जरी को सफलतापूर्वक किया। पुणे के कोथरुड का रहने वाला बच्ची का परिवार एक्सीडेंट के बाद उसे तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इस अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ जितेंद्र ओसवाल जिन्होंने शुरुआत में बच्ची का इलाज किया था उन्होंने कहा कि एक्सीडेंट बहुत बड़ा था। बच्ची को बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल लाया गया था। बच्ची के सिर से लगातार बहुत ज्यादा खून बह रहा था। उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया था। बच्ची के सीटी स्कैन में सिर की पिछली हड्डी (ओसीपीटल हड्डी) में एक फ्रैक्चर के साथ ब्रेन में सूजन दिखी थी इससे ब्रेन थोड़ा सिकुड़ गया था। साथ ही मस्तिष्क की जगहों में तरल पदार्थ (एडीमा) बहुत आ गया था। जब बच्ची के क्लीनिकल कंडीशन 48 घंटे बाद भी इंप्रूव नहीं हुई तो बच्ची का दोबारा सीटी स्कैन किया गया। रिपोर्ट हैरान कर देने वाली थी। बच्ची के दिमाग पर एक्सीडेंट का गहरा प्रभाव था और ब्रेन का सेंटर पार्ट से संपर्क टूट गया था। ऐसे में न्यूरोसर्जन ने सर्जरी के जरिए ट्रेंपरेरी और कुछ पार्शल पार्ट को हटा दिया जिससे बच्ची के ब्रेन में पड़ने वाला दबाव हल्का हुआ। न्यूरोसर्जन विशाल रोकड़े का कहना है कि बच्ची की उम्र छोटी होने के कारण उसकी क्रैनियल बोन को नजरअंदाज कर दिया गया जबकि बड़ी उम्र में ऐसे मामलों में क्रैनियल बोन को फ्रीज करके दोबारा इंप्लांट किया जाता है। हालांकि इस सर्जरी के दो महीने बाद बच्ची को घर भेज दिया गया। जब बच्ची चेकअप के लिए आती थी तो वो खुद से चलने-फिरने लगी थी। हालांकि वो इमोशनली काफी डिस्टर्ब हो गई थी। न्यूरोसर्जन विशाल का कहना है कि इंडिया ही नहीं बल्कि एशिया पैसिफिक रीजन में पहली बार स्कल इंप्लांट हुआ है। डॉक्टर्स ने दुनियाभर के बड़े सर्जन से बातचीत और डिस्कस करके इस सर्जरी को अंजाम दिया।

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