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पैरा कमांडो ने गोलियां लगने के बावजूद दुश्मन की मांद में घुस कर दो आतंकियों को मार गिराया


जोेधपुर : आतंकी हमले के दौरान जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना के एक जांबाज जवान ने दुश्मन की मांद में घुस कर गोलियों की बौछार के बीच दो आतंकियों को मार गिराया। इस दौरान एक गोली जवान के सिर पर लगे हेलमेट में फंस गई जबकि उसकी बांह में जा धंसी। जबकि एक-एक गोली बुलेट प्रूफ हेलमेट और सीने के पास बुलेट प्रूफ जैकेट में ही फंसी रह गई। ये दोनों होने के कारण गोलियां शरीर तक नहीं पहुंच पाई और उसकी जान बच गई। ये जवान है सेना की जोधपुर स्थित मुख्यालय वाली 10 पैरा स्पेशल फोर्स का कमांडो नायब सूबेदार राजपाल धायल। भारतीय सेना की स्पेशल कमांडो फोर्स 10 पैरा का मुख्यालय जोधपुर में है।

10 पैरा की एक टुकड़ी इन दिनों जम्मू-कश्मीर में तैनात है। कश्मीर घाटी के शोपिया कुंडलन में मंगलवार को जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकी ग्रुप के साथ चली मुठभेड़ में स्पेशल फोर्स के एक कमांडों नायब सूबेदार राजपाल धायल ने दो खतरनाक आतंकियों को मार गिराया। इस हमले में धायल भी बांह में गोली लगने से घायल हो गए। सेना की तरफ से कहा गया है कि धायल ने न केवल बड़ी बहादुरी के साथ आतंकियों का सामना किया बल्कि अपनी टीम का बड़ी कुशलता के साथ नेतृत्व किया।एक मकान में आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिलने पर धायल के नेतृत्व में जवानों की एक टुकड़ी को मौके पर भेजा गया।

कई घंटों तक इंतजार के बावजूद आतंकी मकान से बाहर नहीं निकले। इसके बाद अपनी जान की परवाह किए बगैर धायल सीधे मकान में जा घुसे। धायल को देखते ही आतंकियों ने गोलियों की बौछार कर दी। इस दौरान एक गोली उनके हेलमेट में धंस गई, जबकि दूसरी गोली उनके सीने के निकट बुलेट प्रूफ जैकेट में धंस गई। तीसरी गोली उनके सीधी बांह में आकर लगी। हाथ में गोली लगने से लगातार बहते खून को रोकने के लिए पीछे हटने के बजाय जवाबी हमला बोलते हुए धायल ने दोनों को वहीं पर ढेर कर दिया। सेना का कहना है कि जख्मी धायल को अस्पताल ले जाया गया। अब उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। सेना की सबसे ताकतवर व देश दुनिया में कई ऑपरेशन को अंजाम देने वाली बटालियन 10 पैरा कमांडो का घर जोधपुर में है।

स्कॉर्पियंस के नाम से जाने वाली ये स्पेशल फोर्स द क्वाइट प्रोफेशनल्स मानी जाती है यानि अपने फील्ड की सर्वाधिक पेशेवर फोर्स। वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के छाछरो पर कब्जा करने तथा 1987 में श्रीलंका में एलटीटीई के खिलाफ ऑपरेशन पवन में मुख्य भूमिका निभाने वाले पैैरा कमांडो ही सर्जिकल ऑपरेशन में हमेशा अग्रणी रहते हैं। दुश्मन की मांद में घुसकर मात देने का माद्दा रखने वाले पैरा कमांडों को चयन के दौरान ही यह बताया जाता है कि आपसे श्रेष्ठ कोई नहीं और आप में कुछ भी कर गुजरने तथा हर हाल में जीतने का हौसला है।

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