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प्रदूषण की वजह से दिल्‍ली में घटा रावण का ‘कद’

पहले ही प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली में दिवाली और दशहरे के दौरान पटाखों से होने वाला प्रदूषण आग में घी का काम करता है. यही वजह है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्‍य सरकार से कहा है कि दशहरे के दौरान जलने वाले रावण के पुतलों से होने वाले प्रदूषण पर कमेटी बनाकर रिपोर्ट तैयार करे.प्रदूषण की वजह से दिल्‍ली में घटा रावण का 'कद'

वहीं इस बार प्रदूषण से निपटने के लिए लाल किले की ऐतिहासिक ”लव कुश रामलीला” ने भी खास कदम उठाया है. दरअसल, इस बार रामलीला में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले की लंबाई घटा दी गई है. अकसर इन पुतलों की लंबाई 100 से 125 फुट के बीच में रखी जाती है, लेकिन इस बार इस को घटाकर आधा कर दिया गया है.

पुतलों की लंबाई 60 फुट

लव कुश रामलीला के मंत्री अर्जुन कुमार बताते हैं कि इस बार हमने पुतलों की लंबाई 60 फुट इसलिए कर दी है ताकि प्रदूषण कम से कम हो और हमारी कोशिश कुछ खास तकनीक ढूंढ़ कर निकालने की है , जिसमें पटाखों से प्रदूषण की बजाए सिर्फ रौशनी हो. अर्जुन कुमार ने बताया कि पिछले कुछ सालों में लोगों में जागरूकता आई है और इस बात की प्रतियोगिता खत्म हुई है कि किसके रावण के पुतले ज्यादा लंबे और बड़े हैं.

उन्‍होंने बताया कि पुतलों की लंबाई आधी करने के बाद भी इनमें करीब 10 हजार के आसपास पटाखे लगाए जाएंगे. वहीं पुतले बनाने वाले कारीगर सुनील बताते हैं कि एक पुतले में करीब 40 हज़ार रुपये के पटाखे लग जाते हैं. वहीं तीन पुतलों में करीब 2 लाख के आसपास पटाखों में खर्च हो जाते हैं.

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