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फर्जी क्रेडिट में 800 डीलर फंसे

नई दिल्ली : पहले के स्टॉक पर डीलर्स ने बड़े पैमाने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम किया है, लेकिन छानबीन में पाया गया है कि कइयों ने धोखाधड़ी से भी सरकारी खजाने को चपत लगाने की कोशिश की है। दिल्ली जीएसटी विभाग ने ऐसे 800 डीलर्स को नोटिस जारी किया है, जिन्होंने क्लोजिंग स्टॉक पर फर्जी तरीके से ज्यादा क्रेडिट क्लेम किया है। एक मामले में तो 50 करोड़ रुपये की चोरी पकड़ी गई है और उस डीलर के खिलाफ जीएसटी कानून के अलावा दिल्ली पुलिस में भी केस दर्ज कराया गया है। दिल्ली के जीएसटी कमिश्नर एच राजेश प्रसाद ने बताया कि क्लोजिंग स्टॉक पर धोखाधड़ी से इतनी बड़ी राशि का आईटीसी क्लेम करने का यह पहला मामला है। आरोपी ने 15 करोड़ का क्रेडिट तो ले लिया है, लेकिन 35 करोड़ की राशि सस्पेंड कर दी गई है। उस पर जीएसटी कानूनों के अलावा दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज कराया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक विभाग ने करीब 2000 ऐसे डीलर्स को नोटिस जारी किया है, जिन्होंने रिटर्न में आउटपुट लाइबिलिटी कम दिखाई है या ज्यादा क्रेडिट क्लेम किया है। इनमें 800 ने वैट रिजीम के स्टॉक पर TRAN-1 के जरिए ज्यादा क्रेडिट क्लेम किया है।गौरतलब है कि इंडस्ट्री में 20 अक्टूबर तक पिछले सभी क्रेडिट क्लेम की होड़ मची है। अधिकारियों का कहना है कि इसके बाद जांच में ऐसे और मामले सामने आएंगे। फर्जी तरीके से क्रेडिट क्लेम लेने वालों की मोडस ऑपरेंडी एक समान है। 50 करोड़ का क्रेडिट क्लेम करने वाली फर्म वैट रिजीम में शाहदरा के पते पर रजिस्टर्ड थी। जीएसटी में माइग्रेट होते समय न तो उसके पास कोई वैध स्टॉक था और न ही कोई क्रेडिट बनता था। साइट वेरिफिकेशन में दर्ज पते पर वह फर्म भी नहीं मिली। 1.5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले कंपोजिशन डीलर्स के तिमाही रिटर्न में पेश आ रही एक बड़ी विसंगति दूर हो गई है। बुधवार को वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया कि कंपोजिशन डीलर्स को उनके रिटर्न GSTR-4 में खरीद की डिटेल्स नहीं देनी होगी। असल में उन्हें यह छूट जून 2018 तक ही मिली हुई थी, लेकिन रिवर्स चार्ज अगले एक साल के लिए टल जाने के बाद उस छूट को जून से आगे नहीं बढ़ाया गया था और ऐसे डीलर्स के लिए बिना आरसीएम खरीद की डिटेल्स देना संभव नहीं था।

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