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फिल्म ‘पाखी’ का आइटम गीत निकालने से नाखुश हैं निर्देशक सचिन गुप्ता


मुम्बई : सेंसर बोर्ड ने चाईल्ड ट्रैफिकिंग पर आधारित फ़िल्म पाखी को प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया था, जिससे फ़िल्म संकट में फंस गई थी लेकिन सेंसर बोर्ड की रिवाइडिंग कमेटी ने कुछ बदलावों के साथ फ़िल्म को ए सर्टिफ़िकेट देने के लिए सहमति दे दी है। दर्शक अब फ़िल्म में ‘खबरें गरम हैं’ नाम का आइटम सॉन्ग नहीं देख पाएंगे। आइटम गीत हटाने के सेंसर बोर्ड के इस फैसले से निर्देशक सचिन गुप्ता नाखुश नज़र आते हैं। वह सवालिया अंदाज़ में कहते हैं कि क्या अब आगे सेंसर बोर्ड किसी भी फिल्म में आइटम सांग की अनुमति नहीं देगा या यह नियम केवल हमारे जैसे स्वतंत्र निदेशकों पर लागू होगा जो सीमित बजट फिल्म के माध्यम से सामाजिक बुराई के खिलाफ समाज में जागरूकता लाने के अपने प्रयास करते हैं। उनके अनुसार, आइटम गीत में न तो अश्लीलता और न ही अपमानजनक भाषा है।

रिवाइजिंग कमेटी (संशोधित समिति) के अनुसार फ़िल्म में मंत्री जी के स्थान पर नेता जी सम्बोधन करना भी हास्यपद है। सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा फिल्म से हटाने को कहा गया है जिसमें कहा गया है कि किशोर लड़कियों को देह व्यापार में लाने के लिए हार्मोन दवाईयों और इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। सेंसर यह भी चाहता है कि इस शब्दों को म्यूट कर दिया जाए। बता दें कि फ़िल्म पाखी सोशल क्राइम ड्रामा फ़िल्म है जो बच्चों के अवैध व्यापार(चॉइल्ड ट्रैफिकिंग) जैसी सामाजिक बुराइयों से जुडी सत्य घटानाओं पर आधारित है। पिछले एक दशक से देश के कई हिस्सों में महिला अत्याचार और बाल शोषण की खबरों ने सुर्खियाँ बनायीं है ऐसे माहौल में फ़िल्म पाखी बच्चों के अवैध व्यापार (चॉइल्ड ट्रैफिकिंग) बहुत ही महत्पूर्ण समस्या की तरफ ध्यान आकर्षित करती है। “पाखी” 10 साल की लड़की के जीवन की सच्ची घटना पर आधारित है जो यौन तस्करी में फंस गई और खुद को वेश्यावृत्ति की अँधेरे गुफा में पाती है। यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जो मानव व्यापार की दुनिया की वास्तविकताओं को सामने लाती है और अस्तित्व की पहेली की परतों को अलग करती है।

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