पर्यटन

बर्फीली वादियों के नज़ारे देखने है तो औली से अच्छी कोई दूसरी जगह नहीं

सूरज की किरणों से नहाए चमकते पहाड़, मीलों दूर तक पसरी बर्फ की चादर और सफेद नर्म बर्फ पर जीभर खेलने का आनंद। ऐसा रोमांच लेने के लिए किसी दूर देश जाने की ज़रूरत नहीं है। विंटर स्पोट्र्स का आनंद लेना चाहते हैं तो औली, मनाली, शिमला आदि जगहों का रुख कीजिए। रोमांच भरी छुट्टियों के लिए बिना शक ये शानदार जगहें हैं।

हिमालय का स्विट्ज़रलैंड औली

अगर आप बर्फ पर अठखेलियों के शौकीन हैं तो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित औली से मुफीद और कोई जगह नहीं। यहां बर्फ पर स्कीइंग का आनंद लेने के लिए दुनियाभर से पर्यटक खिंचे चले आते हैं। औली की सुंदरता ही ऐसी है कि सिर्फ सर्दी ही नहीं, बल्कि हर मौसम में यहां पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है। बर्फ की सफेद चादर ओढ़े पहाड़ों पर सूर्योदय का नज़ारा हो या सूर्यास्त का, औली हर पहर अलग ही रंगत बिखेरता नज़र आता है। ऐसे में डिसाइड करना मुश्किल हो जाता है कि इस सुंदरता का कौन-सा रंग सबसे खूबसूरत है।

औली से बेहतर ढलानें कहीं नहीं: जोशीमठ से 16 किमी दूर समुद्रतल से 9500 से लेकर 10500 फीट तक की ऊंचाई पर तीन किमी. क्षेत्र में फैली है औली की बर्फ से लकदक खूबसूरत दक्षिणमुखी ढलानें। 1640 फीट की गहरी ढलान में स्कीइंग का जो रोमांच यहां है, वह दुनिया में दूसरी जगहों पर शायद ही हो। इसलिए औली की ढलानें स्कीयरों के लिए बेहद मुफीद मानी जाती हैं।

इंटरनेशनल स्कीइंग रेस के लिए अधिकृत: यह उत्तराखंड में स्थित एकमात्र स्थान है, जिसे फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल स्कीइंग ने स्कीइंग रेस के लिए अधिकृत किया हुआ है। वैसे साल 2000 में उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद ही औली में राष्ट्रीय स्तर की स्कीइंग चैंपियनशिप का आयोजन शुरू कर दिया गया था, लेकिन इसे खास पहचान साल 2011 के सैफ विंटर गेम्स से मिली। इस दौरान यहां स्कीइंग की कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। यहां स्कीइंग के लिए 1300 मीटर लंबा और 40 मीटर चौड़ा स्की ट्रैक है।

स्कीइंग का प्रशिक्षण केंद्र भी: औली में खिलाडिय़ों के लिए स्की लिफ्ट है, जबकि दर्शकों और निर्णायकों के लिए खास ग्लास हाउस। इस हिमक्रीड़ा केंद्र में उत्तराखंड पर्यटन विभाग और गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से जनवरी से मार्च के मध्य स्कीइंग का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसमें सात दिन का नॉन-सर्टिफिकेट और 14 दिन का सर्टिफिकेट कोर्स शामिल है। इसके अलावा निजी संस्थान भी यहां ट्रेनिंग देते हैं। स्की सीखते समय सामान और ट्रेनिंग के लिए 500 रुपये देने पड़ते हैं। यह राशि पर्यटकों के रहने, खाने व स्की सीखने के लिए आवश्यक सामान जुटाने में खर्च की जाती है।

खास है औली का रोपवे: एशिया में गुलमर्ग रोपवे को सबसे लंबा माना जाता है। इसके बाद औली-जोशीमठ रोपवे का नंबर है। करीब 4.15 किमी. लंबे इस रोपवे की आधारशिला साल 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी, जो वर्ष 1994 में बनकर तैयार हुआ। देवदार के घने जंगलों के बीच से यह रोपवे दस टॉवरों से होकर गुज़रता है। जिग-जैक स्टाइल पर बने इस रोपवे में आठ नंबर टॉवर से उतरने-चढऩेे की व्यवस्था है।

पहली बार बर्नेडी ने की थी स्कीइंग: साल 1942 में गढ़वाल के तत्कालीन अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर बर्नेडी औली पहुंचे थे। उन्हें यहां की नैसर्गिक सुंदरता इस कदर भायी कि सर्दी में दोबारा यहां पहुंच गए। बर्नेडी ने यहां की बर्फीली ढलानों पर पहली बार स्कीइंग की। वर्ष 1972 में आइटीबीपी के डिप्टी कमांडेंट हुकुम सिंह पांगती ने भी कुछ जवानों के साथ औली में स्कीइंग की। आइटीबीपी के अधिकारियों को यहां की बर्फीली ढलानें पसंद आईं। 25 मार्च, 1978 को यहां भारतीय पर्वतारोहण एवं स्कीइंग संस्थान की स्थापना हुई।

कैमरे में उतार लें ‘स्लीपिंग ब्यूटी’: बर्फबारी के बाद जब मौसम खुलता है तो औली की ‘स्लीपिंग ब्यूटीट का आकर्षण हर किसी को सम्मोहित करता है। दरअसल, औली के ठीक सामने का पहाड़ बर्फ से ढकने पर लेटी हुई युवती का आकार ले लेता है। इस दृश्य को देखने और कैमरों में कैद करने के लिए पर्यटकों में होड़ लगी रहती है। इसे ही ‘स्लीपिंग ब्यूटी’ के नाम से जानते हैं।

चेयर लिफ्ट का रोमांच: पर्यटक यहां होने वाले स्कीइंग कॉम्पिटिशन और आसपास के कुदरती नज़ारों का भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं। इसके लिए औली में 800 मीटर लंबी चेयर लिफ्ट की सुविधा भी है, जिसमें बैठकर औली का दीदार किया जा सकता है। इस खुली चेयर लिफ्ट से सैर का अलग ही रोमांच है। यही नहीं, स्कीइंग देखने के लिए अलग-अलग स्थानों पर सात ग्लास हाउस भी बनाए गए हैं, जिनसे औली की खूबसूरत वादियों को निहारा जा सकता है। स्कीइंग के अलावा रॉक क्लाइंबिंग, फॉरेस्ट कैंपिंग, घोड़े की सवारी आदि का भी मज़ा ले सकते हैं।

दुनिया की सबसे ऊंची कृत्रिम झील: दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर कृत्रिम झील औली में मौज़ूद है। 25 हज़ार किलोलीटर की क्षमता वाली इस झील का निर्माण साल 2010 में किया गया था।

ठहरने की व्यवस्था: यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए जीएमवीएन का भव्य गेस्ट हाउस और लगभग दो दर्जन हट्स हैं। यहां कमरों के अलावा डॉरमेट्री भी अवेलेबल हैं। साथ ही कैंटीन और अच्छे रेस्तरां भी हैं। आइटीबीपी का रेस्तरां भी है। आप चाहें तो यहां घूमने के बाद ठहरने के लिए जोशीमठ जा सकते हैं। जोशीमठ में ढेरों होटल व गेस्ट हाउस हैं।

20 से 30 हजार का टूर पैकेज: औली ट्रिप के लिए कुछ ट्रैवलिंग वेबसाइट्स पर 20 हज़ार से 30 हज़ार रुपये तक के टूर पैकेज उपलब्ध हैं। ये पैकेज लोगों की संख्या, औली में रुकने के दिन आदि सुविधाओं के आधार पर कम-ज़्यादा भी हो सकते हैं। अगर आप दिल्ली से आ रहे हैं तो कम से पांच रात छह दिन का समय चाहिए।

कब जाएं

वैसे तो सालभर आप औली जा सकते हैं, लेकिन यदि स्कीइंग के इरादे से यहां जाना चाहते हैं तो नवंबर से मार्च के बीच का समय बेहतर रहेगा।

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