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बसंत पंचमी से शुरू हो जाती है होलिका जलाने की तैयारी

ज्योतिष डेस्क : बसंत पंचमी को मां सरस्वती का जन्मदिवस होने के कारण आज के दिन बालकों का विद्यारम्भ संस्कार करना अति उत्तम माना जाता है। 10 फरवरी को सरस्वती पूजा का मुहूर्त प्रातः काल से लेकर की अपराहन 2:19 तक सर्वोत्तम है। पंचमी तिथि में रेवती नक्षत्र प्रात: काल से लेकर के सायं 7:48 तक रहेगा। इसके चलते दूसरा मुहूर्त 12:30 से सायंकाल 7:02 तक शुभ योग रहेगा। पंचमी तिथि का प्रारंभ: शनिवार 9 फरवरी की दोपहर 12.25 बजे से होगा आैर तिथि समाप्त होगी रविवार 10 फरवरी को दोपहर 2.08 बजे। इसी दिन से होली के उत्सव की तैयारियों की शुरूआत भी मानी जाती है। उत्तर भारत में बसंत पंचमी से फाग सुनना प्रारंभ हो जाता है, जो फाल्गुन पूर्णिमा तक चलता है। साथ ही होलिका की लकड़ी एकत्र करना प्रारंभ कर दिया जाता है। इसी दिन मथुरा, वृंदावन क्षेत्र में जिस जगह होलिका दहन होता है वहां खूंटा गाड़ने की परंपरा का भी निर्वहन किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का भी पूजन किया जाता है। प्रातः काल तैलाभ्यंग स्नान करके पीत वस्त्र धारण कर, विष्णु भगवान का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए तदुपरान्त पितृतर्पण तथा ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इस दिन सभी विष्णु मंदिरों में भगवान का पीत वस्त्रों तथा पीत, पुष्पों से श्रृंगार किया जाता है। पहले गणेश, सूर्य, विष्णु आैर शिव आदि देवताओं का पूजन करके सरस्वती देवी का पूजन करना चाहिए। सरस्वती पूजन करने के लिए एक दिन पूर्व संयम नियम से रहना चाहिए तथा दूसरे दिन स्नानोपरान्त कलश स्थापित कर, पूजनादि कृत्य करना चाहिए। बसंत पंचमी पर मनाये जाने वाले वसंतोत्सव पर पीला वस्त्र अवश्य पहने। बसंत पंचमी के दिन मिट्टी आम का बौर अथवा गेंहुं आैर जौ की बाली लगा कर बसंता घर लाना चाहिए। विद्या आरंभ के लिए यह दिन अत्यंत ही श्रेष्ठ माना जाता है अत: पाठशाला जाने वाले बच्चों को इस दिन की पूजन अवश्य करना चाहिए। बसंत पूजा के दिन भगवान को गुलाल लगायें। पीले चावल बनायें, कलश स्थापित करें गंध पुष्प धूप आदि से सरस्वती का उपचार पूजन करें।

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