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बायोफ्यूल सिर्फ विज्ञान नहीं बल्कि वह मंत्र है जो 21वीं सदी के भारत को नई ऊर्जा देने वाला है : प्रधानमंत्री मोदी


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड बायोफ्यूल डे पर एक कार्यक्रम के दौरान शुक्रवार को एक किसान और एक चायवाले की आधुनिक तकनीक का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले की बात है, वह उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। एक दिन उनका काफिला गुजर रहा था। आगे एक स्कूटरवाला ट्रैक्टर का बड़ा ट्यूब लेकर जा रहा था। पीछे चल रही गाड़ियों के ड्राइवर डर रहे थे कि कहीं टकरा न जाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं भी हैरान था कि यह ऐसे कैसे ले जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘कोई भी समझदार व्यक्ति ट्यूब खाली कर देता और आगे जाकर हवा भर लेता। मैंने उसे रोकवाया। स्कूटर वाले से पूछा कि भाई क्या कर रहे हो। गिर जाओगे, चोट लग जाएगी। उसने बताया कि वह अपने खेत जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने उससे पूछा कि खेत में ये भरा हुआ ट्यूब क्यों ले जा रहे हो? उसने बताया कि मेरे घर में किचन का जो कूड़ा-कचड़ा निकलता है वह, और मेरे पास दो पशु हैं, उसके गोबर का इस्तेमाल वह गैस के प्लांट में करता है। उसने बताया कि वह उस गैस को ट्यूब में भरता है और उसे लेकर खेत में जाता है। खेत में उसी से वह पानी का पंप चलाता था। मोदी ने आगे कहा कि आप कल्पना कीजिए कि हमारे देश का किसान कितना सामर्थ्यवान है।

इस दौरान उन्होंने एक चाय वाले का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा, ‘मैंने अखबार में पढ़ा था कि एक छोटे से नगर में नाले के पास कोई चाय बेचता था।’ मोदी ने कहा कि जब चाय बनाने की बात आती है तो मेरा ध्यान थोड़ा जल्दी जाता है। इस पर कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग तालियां बजाते हुए हंस पड़े। उस चायवाले को पता चला कि गंदे नाले से गैस भी निकलती है। इससे दुर्गंध आती थी तो उसने एक बर्तन को उल्टा करके छेद करके पाइप डाल दी और जो गटर से गैस निकलती थी उसे पाइप के जरिए चाय के ठेले से जोड़ दिया। इसके बाद वह इसी गैस से चाय बनाने लगा। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि बायोफ्यूल सिर्फ विज्ञान नहीं है बल्कि वह मंत्र है जो 21वीं सदी के भारत को नई ऊर्जा देने वाला है। बायोफ्यूल यानी फसलों से निकला ईंधन या कूड़े-कचरे से निकला ईंधन। प्रधानमंत्री ने कहा, ये गांव से लेकर शहर तक के जीवन को बदलने वाला है। आम के आम, गुठली के दाम की जो पुरानी कहावत है, उसका ये आधुनिक रूप है। उन्होंने कहा कि गन्ने से इथेनॉल बनाने की योजना पर अटल जी की सरकार के दौरान काम शुरू हुआ था लेकिन बीते एक दशक में इस पर गंभीरता से प्रयास नहीं हुए। जब 2014 में केंद्र में NDA की सरकार बनी तो रोडमैप तैयार किया गया और इथेनॉल को मिलाने का प्रोग्राम शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि इथेनॉल ने न सिर्फ किसानों को लाभ पहुंचाया है, बल्कि देश का पैसा भी बचाया है। इथेनॉल को पेट्रोल के साथ मिक्स करने से पिछले वर्ष देश को लगभग 4 हजार करोड़ रुपये के बराबर की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। पीएम ने कहा कि लक्ष्य यह है कि अगले चार वर्ष में ये बचत करीब 12 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचे।

उन्होंने कहा कि बायोफ्यूल का इस्तेमाल किसानों की आमदनी बढ़ाएगा, रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा, देश का धन बचाएगा और पर्यावरण के लिए भी वरदान साबित होगा। पीएम ने कहा कि देश के लिए यह हमारे उस व्यापक विजन का हिस्सा है, जहां स्वच्छता, स्वास्थ्य और गांव-गरीब-किसान के समृद्धि का रास्ता और मजबूत होगा। प्रधानमंत्री में बताया कि बायोमास को बायोफ्यूल में बदलने के लिए सरकार बड़े स्तर पर निवेश कर रही है। देशभर में 12 आधुनिक रिफाइनरी बनाने की योजना है। रिफाइनरी के संचालन से लेकर सप्लाई चेन तक, लगभग डेढ़ लाख नौजवानों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि आज गोबरधन, वनधन और जनधन से गरीबों, किसानों, आदिवासियों के जीवन में व्यापक बदलाव के प्रयास हो रहे हैं।

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