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बावर्ची से मिले टिप्स से गांव का ये लड़का बन गया सुपरस्टार

मनोज वाजपेयी की फिल्म ‘सत्या’ को 20 साल पूरे हो गए हैं. सत्या तीन जुलाई 1998 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म में मनोज का निभाया गया किरदार भीखू म्हात्रे बॉलीवुड के आइकॉनिक रोल में से एक माना जाता है. लेकिन सबसे द‍िलचस्प बात ये है कि मनोज को जब ये रोल  ऑफर किया गया तब उन्होंने इसे करने से इंकार कर दिया था. हाल ही में द‍िए एक इंटरव्यू में मनोज ने इस फिल्म से कई दिलचस्प किस्से सुनाए.

भीखू म्हात्रे के रोल से मनोज का इंकार

अभिनेता मनोज वाजपेयी ने अपनी अदाकारी से बेहद चर्चित बना दिया था. लेकिन जब उन्हें इस भूमिका का प्रस्ताव दिया गया था तब वह खुश नहीं थे क्योंकि उनकी इच्छा टाइटल रोल निभाने की थी. इस फिल्म ने लेखक अनुराग कश्यप और वाजपेयी का करियर संवार दिया. कश्यप ने अभिनेता सौरभ शुक्ला के साथ मिल कर फिल्म की पटकथा लिखी थी. मनोज वाजपेयी ने बताया , शुरुआत में यह समझौता हुआ था कि शीर्षक भूमिका मैं निभाऊंगा लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें शीर्षक भूमिका के लिए नहीं बल्कि और दमदार मौजूदगी के लिए अभिनेता की तलाश है. मुझे सही किरदार मिला इसके लिए मैं अब ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूं.’

कैसे बना भीखू म्हात्रे का किरदार ऐत‍िहास‍िक

मनोज वाजपेयी ने इस फिल्म में डायलॉग बोला था, मुंबई का किंग कौन, भीखू… म्हात्रे. इस डायलॉग को फैंस आज भी नहीं भूले. मनोज वाजपेयी ने बताया कि भीखू के बोलने का तरीका मैंने अपने बावर्ची से सीखा था. मेरा बावर्ची कोल्हापुर का रहने वाला था.

जब सत्या फिल्म को बताया गया था सबसे बड़ी गलती

मनोज वाजपेयी ने बताया कि फिल्म सत्या की रिलीज के हफ्ते भर के भीतर फिल्म को सबसे बड़ी गलती करार दिया गया क्योंकि इसे देखने केवल 15-20 लोग ही आए. लेकिन अचानक दर्शकों की संख्या बढ़ने लगी और ऐसे कई सिनेमा हॉल, जिन्होंने फिल्म उतार दी थी, उन्होंने इसका प्रदर्शन फिर शुरू कर दिया.

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