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बीटीसी प्रमाण-पत्र फर्जी पाये जाने पर 4 अध्यापक निलम्बित


लखनऊ : सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत मुरादाबाद निवासी अख्तर हसनैन रिजवी ने 25.05.2017 को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सम्भल को आवेदन पत्र देकर जानकारी चाही थी कि बीएसए को प्रेषित प्रार्थना-पत्र 20.06.2017 जिसमें फर्जी बीटीसी प्रमाण-पत्र के आधार पर शिक्षा विभाग में शिक्षक पद पर नियुक्ति प्राप्त करने की जांच कराये जाने के विषय में पत्र दिया था उस सम्बन्ध में विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गयी है, क्या इस सम्बन्ध में कोई जांच अधिकारी नियुक्ति किया गया है, नाम, पदनाम सहित प्रमाणित छायाप्रतियों की जानकारी दी जाये, मगर विभाग द्वारा वादी को कोई जानकारी नहीं दी गयी, अधिनियम के तहत सूचना न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही है।

राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सम्भल को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी के प्रार्थना-पत्र की सभी सूचनाएं वादी को अगले 30 दिन के अन्दर उपलब्ध कराते हुए आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को सूचना क्यों नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सम्भल से राजू यादव सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए, उन्होंने अवगत कराया तत्कालीन बीएसए के द्वारा वाद से सम्बन्धित अध्यापकों के बीटीसी प्रमाण-पत्रों का सत्यापन सचिव/रजिस्ट्रार, परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र, इलाहाबाद द्वारा प्राप्त किया गया, जिसमें महेन्द्र सिंह प्रअ प्राथमिक विद्यालय शकरपुर, खूबसिंह प्रअ प्राथमिक विद्यालय करछली विकास खण्ड पवांसा, रूमाल सिंह प्रअ प्राथमिक विद्यालय गोहरनगर, रघुवीर सिंह प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर गहरा मिलक विकास खण्ड असमौली के बीटीसी उत्तीर्ण प्रमाण-पत्र के सापेक्ष अनुक्रमांक आवंटित नहीं है, प्रमाण-पत्र के सापेक्ष अभिलेख से भिन्न है, के आधार पर बीटीसी प्रमाण प्रथम दृष्टया कूटरचित होने के कारण सम्यक विचारोपरान्त तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दी गयी है, इस आशय की जानकारी प्रतिवादी ने आयोग को दी है।

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