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बैशाख माह आज से शुरू, स्नान का है खास महत्व

ज्योतिष : बारहों महीनों में बैशाख मास दूसरे स्थान का महीना है। शास्त्रों के अनुसार बैशाख मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी बताया गया है। सनातन संस्कृति के धर्मशास्त्रों में वैशाख मास का काफी महिमामंडन किया गया है और इसको देव आराधना, दान, पुण्य के लिए श्रेष्ठ मास बतलाया गया है। इस मास की तुलना मां से की गई है क्योंकि यह एक मां के समान सृष्टि के सभी जीवों को अभिष्ट प्रदान करता है। इसलिए कहा गया है कि
न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।
बैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। इस साल बैशाख मास का प्रारंभ 9 अप्रैल, गुरुवार से हो चुका है। महर्षि नारद ने राजा अम्बरीश को बैशाख मास का माहात्मय सुनाया था। नारदजी ने राजा अम्बरीश से कहा था कि बैशाख मास धर्म, यज्ञ, क्रिया और तपस्या सभी का सार है और समस्त देवी-देवताओं के द्वारा पूजित है। जिस तरह विद्याओं में वेद-विद्या, मंत्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, धेनुओं में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, वर्णों में ब्राह्मण, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगाजी, तेजों में सूर्य, अस्त्र-शस्त्रों में चक्र, धातुओं में स्वर्ण, वैष्णवों में शिव और रत्नों में कौस्तुभमणि सर्वोत्तम है, उसी तरह धर्म के साधनभूत महीनों में बैशाख मास सबसे उत्तम है। भगवान लक्ष्मीनारायण को प्रसन्न करने वाला इसके जैसा दूसरा कोई मास नहीं है। जो व्यक्ति बैशाख मास में सूर्योदय से पहले स्नान करता है, उसके ऊपर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती हैं। धरती पर पाप तभी ज्यादा बढ़ जाते हैं, जब तक मनुष्य बैशाख मास में प्रातःकाल नदी, सरोवर के शुद्ध जल से स्नान नहीं करता। बैसाख मास में सब तीर्थ, देवता आदि तीर्थ के अलावा बाहर के जल में भी सदैव विद्यमान रहते हैं।

भगवान विष्णु की आज्ञा का पालन करते हुए, मानव का कल्याण करने के लिए वे सूर्योदय से लेकर छह दंड के अंदर वहां पर उपस्थित रहते हैं। बैशाख उत्तम महीना है और शेषशायी भगवान विष्णु को हमेशा से प्रिय है। जो पुण्य सब दानों से मिलता है और जो फल सब तीर्थों के दर्शन से प्राप्त होता है, उसी पुण्य और फल की प्राप्ति बैशाख मास में सिर्फ जल का दान करने से हो जाती है। यह समस्त दानों से बढ़कर लाभ पहुंचाने वाला है। जो मानव बैशाख मास में राह पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक का वासी होता है। प्याऊ देवताओं, पितरों और ऋषि-मुनियों को बहुत प्रिय है। जो प्याऊ लगाकर थके हुए यात्रियों की प्यास बुझाता है, उस पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश सहित समस्त देवतागण प्रसन्न होते हैं। बैशाख मास में जल की चाहत रखने वाले को जल, छाया की इच्छा रखने वाले को छाता और पंखे की इच्छा रखने वाले को पंखे का दान करना चाहिए। जो व्यक्ति महात्माओं को स्नेह के साथ शीतल जल प्रदान करता है, उसे उतनी ही मात्रा से दस हजार राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है। धूप और परिश्रम से पीड़ित ब्राह्मण को जो पंखे से हवाकर शीतलता प्रदान करता है, वह पापरहित होकर भगवान के चरणों में जगह पाता है। जो राह में थके हुए श्रेष्ठ ब्राह्मण को वस्त्र से भी हवा करता है, वह भगवान विष्णु का सामिप्य प्राप्त कर लेता है।

 

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