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ब्रेकिंग: नवजातों को बेचने के मामले में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खाते सीज करने की मांग

नवजातों को बेचने के मामले में झारखंड में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के राज्य के डीजीपी ने गृह सचिव से संस्था के सभी बैंक खाते सीज करने को कहा है. जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ सालों में 5 संस्थाओं ने करोड़ों रुपये के विदेशी फंड स्वीकार किए हैं.

विदेशी चंदा लेने के मामले की जांच सीबीआई भी कर सकती है. राज्य को डीजीपी डीके पांडे ने इस मामले में राज्य के गृह सचिव को खत लिखकर संस्थाओं के बैंक खाते सीज करने को कहा है.

17 में से 6 शेल्टर होम पर नजर

वहीं, रांची में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के 17 शेल्टर होम में से छह में अनियमितताओं और अव्यवस्थाएं पाई गई हैं. इन संस्थाओं में बदतर रखरखाव, कमजोर सुरक्षा व्यवस्था, फर्जी पंजीकरण जैसी शिकायतें देखने को मिली हैं. ये छह शेल्टर होम प्रेमाश्रय, बालाश्रय, नारी निकेतन, दिव्य सेवा संस्थान, समाधान और आदिम जाति सेवा मंडल हैं.

बच्चों को बेचने के मामले की जांच 22 जून को शुरू होने के बाद शोल्टर होम को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत लाने का फैसला किया गया था.

दो बच्चे हुए बरामद

इस मामले का पता लगाने वाली रांची चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) की चेयरपर्सन रूपा वर्मा ने इंडिया टुडे से खास बातचीत भी की. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार हुई सिस्टर्स ने बताया है कि उन्होंने चार बच्चों को बेचा है. इनमें से दो बच्चों को बरामद कर लिया गया है और वे CWC की कस्टडी में हैं.

हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें 450 बच्चों की संख्या के बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है, जिसकी चर्चा मीडिया में हो रही है. इसके साथ ही निर्मल हृदय शेल्टर होम से 30 गर्भवती महिलाओं को भी कस्टडी में लिया गया है.

रूपा वर्मा ने बताया कि शिशु भवन से 22 बच्चों को भी कस्टडी में लिया गया है. ये सभी बच्चे 2 साल से कम उम्र के हैं. उन्होंने कहा कि इन सभी बच्चों को उनके (जैविक) परिजनों को सौंपने के लिए उनकी तलाश की जा रही है.

मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़े होम्स में 2015 से 2018 के बीच 450 गर्भवती महिलाओं को भर्ती कराया गया था. लेकिन उनमें से सिर्फ 170 नवजात शिशुओं का ही डिलिवरी रिकॉर्ड मिला. बाकी 280 के बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला.

क्या है पूरा मामला

ये मामला तब सामने आया था जब इस साल मई में मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़े होम से एक नवजात शिशु को एक दंपति ने 1.20 लाख रुपए में लिया था. इस दंपति से नवजात के जन्म और चिकित्सा देखभाल के नाम पर ये रकम ली गई थी. दंपति का आरोप है कि चैरिटी संस्थान की ओर से ये आश्वासन देकर बच्चा वापस ले लिया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्चा लौटा दिया जाएगा. जब बच्चा वापस नहीं मिला तो दंपति ने इसकी शिकायत चाइल्ड वेलफेयर कमेटी से कर दी.

नवजातों की बिक्री के आरोप को लेकर पुलिस ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की ओर से संचालित होम की एक कर्मचारी अनिमा इंद्रवार और सिस्टर कोंसीलिया को गिरफ्तार कर लिया. दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. पुलिस इनसे आगे पूछताछ के रिमांड पर लेने के लिए अर्जी देगी.

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