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बड़ा तोहफाः अगस्त 2017 के बाद आरबीआई ने घटाया रेपो रेट, 7.4 फीसदी रहेगी जीडीपी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आम जनता को अंतरिम बजट पेश होने के बाद पहली मौद्रिक समीक्षा नीति का एलान करते हुए बड़ा तोहफा दे दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में तीन तक चली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के बाद रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी है।

बड़ा तोहफाः अगस्त 2017 के बाद आरबीआई ने घटाया रेपो रेट, 7.4 फीसदी रहेगी जीडीपी

अब रेपो रेट 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी हो गया है। आरबीआई ने इससे पहले अगस्त 2017 में रेपो रेट में कटौती की थी, इसके बाद ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी। पिछले चार महीने से रेपो रेट को स्थिर रखा गया था।

7.4 फीसदी रहेगी विकास दर

गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2019-20 में देश की विकास दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिये यह अनुमान 7.2 प्रतिशत रखा गया है। वहीं महंगाई दर के 2019-20 की पहली छमाही में 3.2 से लेकर के 3.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।

मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्यों ने नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में जबकि दो सदस्यों ने इसके खिलाफ अपना मत दिया। समिति के दो सदस्यों चेतन घाटे और विरल आचार्य ने नीतिगत दर यथावत रखने के पक्ष में मत दिया।

रिजर्व बैंक के रुख को बदलकर तटस्थ करने का फैसला आम सहमति से किया गया। केंद्रीय बजट प्रस्तावों से खर्च योग्य आय बढ़ने से मांग को गति मिलेगी, असर दिखने में समय लग सकता है।

कर्ज लेना होगा सस्ता

आरबीआई के इस कदम से आम जनता को कर्ज लेना सस्ता पड़ेगा। इससे सभी तरह के कर्ज लेना शामिल हैं। 28 जनवरी को सरकारी बैंकों के साथ बैठक में शक्तिकांत दास ने इस बात के संकेत दिए थे।

बैठक के बाद आर्थिक जगत ने उम्मीद जताई है कि मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। इससे पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर बीते दिसंबर में घटकर 2.19 फीसदी पर आ गई है, जो कि डेढ़ साल का न्यूनतम स्तर है।

बैंकों को पीसीए से निकालना प्राथकिता

एनपीए के बोझ तले दबे सरकारी बैंकों पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। आरबीआई ने 11 सरकारी बैंकों को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत रखा था जिन पर नए कर्ज बांटने और शाखाएं खोलने पर रोक लगा दी गई थी।

सरकार और आरबीआई की प्राथमिकता है कि इन बैंकों को जल्द से जल्द पीसीए से बाहर निकाला जाए। इसके लिए बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों के साथ सरकार संकट में फंसे बैंकों को पूंजी भी उपलब्ध करा रही है और उम्मीद है कि जल्द चार-पांच बैंक पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर आ जाएं।

महंगाई पर मिली राहत

थोक और महंगाई के हालिया आंकड़े देखने के बाद एमपीसी अपने रुख में बदलाव कर सकती है। खुदरा महंगाई दिसंबर में 18 माह के निचले स्तर 2.19 फीसदी और थोक महंगाई आठ माह के निचले स्तर 3.80 फीसदी पर पहुंच गई है।

यह लगातार पांचवां महीना था जब खुदरा महंगाई आरबीआई के अनुमानित लक्ष्य 4 फीसदी से नीचे रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि 7 फरवरी को एमपीसी की चालू वित्त वर्ष में छठी बैठक होनी है, जो नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला करते समय खुदरा महंगाई को ध्यान में रखती है।

खुदरा कर्ज बढ़ने से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था

देश के अधिकतर सरकारी बैंकों पर बढ़ते एनपीए के बोझ और बैड लोन के कारण बैंकिंग तंत्र काफी समय से मुश्किल में है। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दर में गिरावट से खुदरा कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा और इसमें इजाफे से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सकती है।

बैंकों का बढ़ रहा भरोसा

औद्योगिक और कारोबारी लोन के बड़ी मात्रा में एनपीए होने के कारण बैंकों का रुझान खुदरा कर्ज देने की ओर बढ़ रहा है। क्रेडिट ब्यूरो सहित अन्य सुधारवादी कदमों के बाद उनका भरोसा खुदरा कर्जदारों में मजबूत हुआ है।

वर्ष 2013 में जहां बैंकों के कुल कर्ज में खुदरा कर्ज का हिस्सा 18.3 फीसदी था, वहीं मार्च,2018 में यह 24.8 फीसदी हो गया। इसके बाद अक्तूबर के हालिया आंकड़ों में यह हिस्सा 25.5 फीसदी पहुंच गया है।

आधे से ज्यादा खुदरा कर्ज

देश के तीन सबसे बड़े बैंकों के आंकड़ों को देखें तो उनके कुल कर्ज में से आधे से ज्यादा हिस्सा खुदरा कर्ज का है। एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के लोन बुक में खुदरा कर्ज की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है। इसी तरह, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक के लोन बुक में भी खुदरा कर्ज की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है।

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