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बड़ी खबर : 29 साल बाद बारामूला में सभी आतंकियों का अंत, जम्मू-कश्मीर का पहला आतंक मुक्त जिला

श्रीनगर : जम्मू और कश्मीर के बारामूला जिले में बुधवार को सुरक्षा बलों ने आतंकियों से हुई मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया है। आतंकियों की मौत के बाद पुलिस ने बड़ा दावा किया है। जम्मू और कश्मीर पुलिस ने दावा किया है कि अब बारामूला में एक भी स्थानीय आतंकी नहीं बचा है। उसके अनुसार ऐसा 29 साल बाद संभव हुआ है। पुलिस ने बरामूला को स्थानीय आतंकी रहित क्षेत्र घोषित कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के दावे के अनुसार बारामूला के साथ ही श्रीनगर में भी स्थानीय आतंकी नहीं रह गया है। हालांकि अभी श्रीनगर में बाहरी जिलों और विदेशी आतंकियों की आवाजाही व गतिविधियां होती रहती हैं। किसी समय हिज्बुल का गढ़ कहे जाने वाले कश्मीर के बारामूला जिले को सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आतंक के दंश से मुक्त करा लिया है। उत्तरी कश्मीर के आतंक प्रभावित जिलों में से एक बारामूला को कश्मीर घाटी का पहला ऐसा जिला घोषित किया गया है, जहां पर अब कोई भी आतंकी मौजूद नहीं है। बुधवार को बारामूला की मुठभेड़ में तीन आतंकियों के मारे जाने के बाद सेना ने इस जिले को आतंक मुक्त घोषित कर दिया है। इस ऐलान के साथ बारामूला घाटी का पहला आतंक मुक्त जिला बन गया है। गौरतलब है कि बुधवार को ही सुरक्षा बलों ने जम्मू और कश्मीर के बारामूला में मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने बारामूला जिले के बिन्नेर इलाके की घेराबंदी की और तलाशी अभियान शुरू किया था। उन्होंने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोली चलाई और इसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। अधिकारी ने बताया कि अभियान में तीन आतंकवादी मारे गए। उन्होंने बताया कि घटनास्थल से हथियार और अन्य सामग्री बरामद की गई। उन्होंने कहा कि मारे गए आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और उनकी पहचान सुहैब फारूक अखून, मोहसिन मुश्ताक भट और नासिर अहमद दर्जी के तौर पर हुई थी। उन्होंने कहा कि वे उत्तरी कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी कई वारदात में शामिल रहे थे।

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