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भारत और रूस की दोस्ती काफी पुरानी, राष्ट्रपति पुतिन ने अनौपचारिक बातचीत के लिए प्रधानमंत्री मोदी को दिया न्योता


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को एक दिन के रूस दौरे पर सोची पहुंचे। यहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। मोदी ने उन्हें इस अनौपचारिक मुलाकात के लिए न्योता देने पर धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने याट की सवारी भी की। मोदी ने कहा कि मेरी लिए विदेशी रिश्तों की शुरुआत रूस से ही हुई थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनका चौथा रूस दौरा है। इससे पहले मोदी 27-28 अप्रैल को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से वुहान शहर में भी अनौपचारिक मुलाकात कर चुके हैं। इस दौरान दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर बात हुई थी। विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह ने भास्कर से बातचीत में बताया कि एशिया की इन 3 ताकतों की बढ़ती नजदीकी अच्छे संकेत हैं। इस पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। नरेंद्र मोदी ने चौथी बार राष्ट्रपति चुने जाने पर पुतिन को बधाई दी। उन्होंने कहा, भारत और रूस की दोस्ती काफी पुरानी है। मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति पुतिन ने अनौपचारिक बातचीत के लिए न्योता दिया। इससे दोनों देशों के संबंधों को नया आयाम मिलेगा।
मेरे राजनीतिक जीवन में रूस और आपका (पुतिन) की खास जगह है। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए यहां पहली बार किसी विदेशी नेता से मेरी मुलाकात हुई थी। इस तरह से आप और रूस मेरे लिए विदेशी रिश्तों की शुरुआत हैं। तब से 18 साल बीत गए, कई बार आपसे मिलकर मुद्दों को हल करने और रिश्तों को आगे बढ़ाने का मौका मिला। वाजपेयी जी और आपने जिस कूटनीतिक सहयोग की नींव रखी थी, वो अब सहयोग के नए रूप में बदल चुकी है। आज हमारे रक्षा मंत्रियों के बीच मजबूत संबंध और सहयोग है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शांघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) में भारत को स्थाई सदस्यता दिलाने में रूस का अहम योगदान रहा है। भारत और रूस इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर और ब्रिक्स में साथ काम कर रहे हैं। बता दें कि 8 देशों के इस संगठन में भारत और पाकिस्तान को पिछले साल सदस्यता मिली है। भारत के डिफेंस का करीब 70 प्रतिशत लॉजिस्टिक्स अभी भी रूस से ही आता है। लिहाजा रूस को वर्तमान हालात में दरकिनार नहीं किया जा सकता। अमेरिका से बेहतर डिप्लोमैटिक काउंटर करने के लिए रूस का साथ जरूरी है। चीन-रूस की अच्छी दोस्ती है। लिहाजा रूस की नजदीकी से चीन के साथ भी बेहतर रिश्ते हो सकते हैं। दरअसल अनौपचारिक वार्ता किसी ट्रीटी या एग्रीमेंट का हिस्सा नहीं बनती। बातचीत के लिए एक बड़ा स्पेस बनता है। इससे हम कूटनीतिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। लंबे वक्त से भारत, रूस से कटा-कटा है। जितना हम अमेरिका के करीब आते गए, रूस दूर होता गया। आज दो पोल बन गए हैं, एक- एशिया-पैसिफिक में जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका। दूसरा- गल्फ में चीन, रूस, सीरिया, ईरान है। भारत को इसमें बैलेंस बनाना है, क्योंकि उसे किसी से लड़ना नहीं है। लिहाजा प्रतिनिधिमंडल के साथ जाने के बजाय अनौपचारिक वार्ता करना ज्यादा सही लगता है। इसमें मुद्दे तय नहीं होते। लेकिन जब देशों के प्रमुख बैठते हैं तो बातचीत का माहौल तैयार होता है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इच्छा जताई है कि वे मोदी के साथ रूस की भविष्य की अहमियतों, अपनी विदेश नीति, दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत से रिश्तों को मजबूती देने पर चर्चा करने करना चाहते हैं। सरन ने कहा, “पुतिन भी कुछ हफ्तों के बाद नियमित बैठक के लिए भारत आने वाले हैं। रूस से हमारे संबंधों के लिहाज से लगातार होने वाली ये मुलाकातें बेहद अहम हैं। रूस, भारत को वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली दे रहा भारत, रूस से परमाणु पनडुब्बी लीज पर लेना चाह रहा है। रूस से 40 हजार करोड़ रुपए की लागत पर वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली भी खरीदने का करार किया है। रूस, भारत को कम कीमत में ही सुखोई टी-50 लड़ाकू जेट देने की पेशकश कर चुका है। भारत, रूस का सबसे बड़ा हथियार खरीदार है। 68 फीसदी सैन्य हॉर्डवेयर भारत, रूस से ही खरीदता है। भारत और रूस के बीच पिछले साल तक 7.8 अरब डॉलर का कारोबार था। इसमें 2014 की तुलना में कमी आई। तब यह 10 अरब डॉलर था। दोनों देश 2022 तक व्यापार को 30 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं।

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