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भारत के लिए बन सकते हैं बड़ा खतरा, इबोला सहित ये नौ वायरस…

भारत को कई वायरल बीमारियों से लड़ने के लिए खुद को और तैयार करना होगा। इन बीमारियों में इबोला वायरल भी शामिल है, जो अफ्रीकी देशों में हजारों की जान ले चुका है। ये वायरस फैलते-फैलते हाल के वर्षों में कई अन्य देशों तक पहुंच गया है। हालांकि भारत अभी इससे बचा हुआ है। देश की बड़े स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने ऐसे दस वायरल संक्रमणों की पहचान की है, जो आने वाले समय में भारतीयों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं। इनमें इबोला, एमईआरएस-सीओवी, येलो फीवर और एविआन इन्फ्लूएंजा (एच7एन9) जैसी बीमारियां हैं।

इनके अलावा वायरसों में यूसुटु वायरस, टिलापिया नोवेल हेपेटाइटिस, साइक्लोन वायरस, बेना रियो वायरस इन्सेफेलाइटिस और कैनाइन परवोवायरस भी शामिल हैं।

आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बलराम भारगव का कहना है, अंतरराष्ट्रीय यात्राओं से इन बीमारियों के भारत में आने का खतरा और अधिक बढ़ रहा है। तो ये जरूरी है कि इमरजेंसी के लिए तैयार रहा जाए। उन्होंने आगे बताया, “करीब 30 हजार भारतीय युगांडा में रह रहे हैं, जहां इबोला वायरल मौजूद है। हमारे कुछ सैनिक डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में भी मौजूद हैं, जहां वर्तमान में इबोला वायरल की भयंकर स्थिति बनी हुई है।”

इबोला एक फैलने वाला ऐसा संक्रमण रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इससे रक्तस्रावी बुखार होता है, जिससे इंटरनल और एक्सटर्नल बिल्डिंग होती है। इस बीमारी के 70 फीसदी मामलों में मृत्यु हो जाती है।

वहीं एमईआरएस-सीओवी जिसे मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावोरस भी कहा जाता है, वह सबसे पहले साल 2012 में सऊदी अरब में रिपोर्ट किया गया था। इसके बाद यह 26 देशों में फैल गया। इस बीमारी में शरीर के कई अंग एक साथ काम करना बंद कर देते हैं।

हालांकि अभी तक भारत में इस बीमारी का एक भी मामला सामने नहीं आया है। ये जानकारी इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित वायरल बीमारियों और नए वायरस के उभरने और दोबार उभरने की समीक्षा पर आधारित लेख में दी गई है।

आईजेएमआर के इस लेख में कहा गया है, चमगादड़ इन बीमारियों के प्राकृतिक कोश माने जाते हैं। भारत में कई प्रजातियों के चमगादड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। मध्य पूर्व से भी लोग भारी मात्रा में यात्रा करते हैं। इन सभी बातों से देश में वायरसों के संक्रमण की निगरानी करने की जरूरत है। इस लेख में ये भी कहा गया है कि देश में एच7एन9 और एच9एन2 (एवियन इन्फ्लूएंजा के सबटाइप्स) के कुछ मामले सामने आए हैं।

डॉक्टर भारगव का कहना है, “हमारे देश के पास भविष्य की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए आधारभूत संरचना और विशेषज्ञता उपलब्ध है।”

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