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भावी पीढ़ी को ‘सुरक्षित भविष्य का अधिकार’ अवश्य मिलेगा

CMS_2अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन 
लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित हो रहे ‘‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 15वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’’ के चौथे व अन्तिम दिन आज 60 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों और कानूनविद्ों ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ लागू करना समय की मांग है क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। इस ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे दिन आज 4 देशों से पधारे राष्ट्रपतियों एवं 60 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने जमकर चर्चा परिचर्चा की और ‘विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य’ एवं ‘प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून’ पर व्यापक विचार-विमर्श किया। इसके अलावा, आज सी.एम.एस. छात्रों ने विश्व के न्यायविदों के समक्ष विश्व के ढाई अरब बच्चों की ओर से ‘सुरक्षित भविष्य’ की अपील प्रस्तुत की। इस ऐतिहासिक सम्मेलन के चौथे दिन का शुभारम्भ आज अल्बानिया के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम रेक्सेप मेदानी ने दीप प्रज्वलित कर किया जबकि समारोह की अध्यक्षता सूडान के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा. हैदर अहमद डफाला ने की। इस अवसर पर लेबनान से पधारी एक्टिंग प्रेसीडेंट ऑफ चैम्बर, कोर्ट ऑफ कासेसन सुश्री मेड्डी मोट्रान ने की। चौथे दिन की परिचर्चा का शुभारम्भ करते हुए अल्बानिया के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम रेक्सेप मेदानी ने कहा कि विचारों में भिन्नता और आपसी मतभेदों को एक विश्व व्यवस्था द्वारा शान्तिपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए। असमानतायें तो रहंेगी हीं किन्तु इन्ही के बीच छिपी विभिन्नता में एकता को पहचानना है और मिलकर विश्व की समस्याओं का समाधान निकालना है। आर्थिक मतभेदों व सामाजिक विभिन्नताओं की दीवार को गिराकर मिलजुलकर काम करना चाहिये जिससे पूरे विश्व की भलाई हो। आज विश्व में कई प्रकार की बाधाएं हैं जो हमें समानता व एकता के लक्ष्य पर पहंुचने में रूकावट बनती हैं, परन्तु इस सम्मेलन से उम्मीद जगी है कि हम बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने में सफल हो पायेंगे।
 सूडान के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा. हैदर अहमद डफाला ने कहा कि कि पूरे विश्व को आज शान्ति व प्रगति की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र ने कई मानवीय कार्य किए हैं किन्तु अभी भी इसमें भी सुधार की आवश्यकता है तभी हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं। हम सबको एक होकर अपना योगदान देना है। आज की समस्यायें एक विश्व संसद व अन्तर्राष्ट्रीय कानून द्वारा ही सुलझाई जा सकती है। बच्चों को युद्ध व आतंकवाद से दूर रखना एवं शान्ति व एकता की शिक्षा देना आज की जरूरत है। एक्टिंग प्रेसीडेंट ऑफ चैम्बर, कोर्ट ऑफ कासेसन, लेबनान, सुश्री मेड्डी मोट्रान ने कहा कि बच्चों के सभी प्रकार के शोषण पर रेाक लगाकर उनके अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। असम्भव कुछ भी नहीं है। उन्होंने सी.एम.एस. को धन्यवाद देते हुए कहा कि एक दिन हमारा यह स्वप्न निश्चित ही सच होगा। भारत के मद्रास हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज न्यायमूर्ति सबापति तमिलवानन ने कहा कि हम मानवता के हित के लिए चिन्तित हैं लेकिन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमें एक होना पड़ेगा। उन्होने कहा कि ईमानदार प्रयासों से विश्व सरकार का निर्माण सम्भव है। केरल हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति एलेक्जेन्डर थॉमस ने कहा कि विश्व समुदाय कुछ खास तरह की गम्भीर समस्याओं से जूझ रहा है। उन्होने कहा कि महात्मा गाँधी द्वारा दिया अहिंसा का उपाय इसस निबटने के लिए सबसे प्रयुक्त है और यदि ऐसा हुआ तो इससे पूरे विश्व में एक नई सकरात्मकता का प्रवाह होगा। इसी प्रकार रूस से पधारे मास्को सिटी टीचर ट्रेनिंग यूनिवर्सिटी, इण्टरनेशनल अफेयर्स, के वाइस रेक्टर डा. वादिम ग्रिन्सिकुन समेत कई न्यायविदों व कानूनविदों ने भी अपने विचार रखे।

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