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मनीऑर्डर बहुत देरी से पहुंचने की वजह से पहचान खो रहा डाक विभाग

  • पिछले साल 1 अप्रैल से 31 दिसंबर तक मनीऑर्डर न पहुंचने की आईं 14085 शिकायतें
  • इस समयावधि में कुल 31831 शिकायतें मनीऑर्डर देर से पहुंचने से संबंधित रहीं
  • 2015-16 में कुल 32 हजार शिकायतें, 2016-17 में 31 हजार व 2017-18 में 31 हजार रहीं
देश के गांवों तक पहुंच रखने वाला इकलौता सरकारी विभाग डाक विभाग पुरानी सेवाओं में अपनी पहचान खो रहा है। बैंकिंग क्षेत्र में नए सिरे से कदम रखने वाले यह विभाग समय पर मनीऑर्डर नहीं पहुंचा पा रहा है। साल दर साल पैसा भेजने की इस सेवा में लंबा देरी और नहीं पहुंचने की शिकायतें गतवर्ष 46 हजार के करीब पहुंच गई हैं। संचार मंत्रालय का कहना है कि ऐसा तकनीकी, मानवीय भूल के कारण हुआ। इसमें दोषी पाए गए 68 कर्मचारियों और प्राधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।

मनीऑर्डर बहुत देरी से पहुंचने की वजह से पहचान खो रहा डाक विभाग

केंद्रीय मंत्रालय के अनुसार डाक विभाग से मनीऑर्डर नहीं पहुंचने की 14085 शिकायतें पिछले साल 1 अप्रैल से 31 दिसंबर तक मिली। इस दौरान 31831 शिकायतें देरी से पहुंचने की थी। ऐसे में महज 8 माह के दौर में मनीऑर्डर से जुड़ी भारी शिकायतें मिलीं। यह आंकड़ा 2015-16 के दौर में कुल 32 हजार, 2016-17 में 31 हजार और इतना ही 2017-18 में रहा था।

मंत्रालय के मुताबिक ऐसी शिकायतों से निपटारे की पर्याप्त व्यवस्था की गई है जिसके तहत फोन, इंडिया पोस्ट कॉल सेंटर, पोस्टइंफो ऐप, डाक विभाग के मोबाइल ऐप, सोशल मीडिया पर ट्विटर के जरिए और ऑनलाइन कम्प्यूटरीकृत ग्राहक सेवा केंद्र (सीसीसीसी) के माध्यम से लोग शिकायत दर्ज करा सकते हैं। मौजूदा समय देश में 20041 सीसीसीसी कार्यरत हैं। इसके अलावा कोर सिस्टम इंटीग्रेशन (सीएसआई) के तहत ऑनलाइन वितरण प्रणाली शुरू की गई है। यह मनीऑर्डर की वितरण प्रक्रिया को पारदर्शिता प्रदान करता है।

ऐसा कोई राज्य नहीं जहां से शिकायतें न आई हों

संचार मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र, यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा, तमिलनाडु, मणिपुर और कर्नाटक से मनीऑर्डर नहीं मिलने और देरी से पहुंचने की सर्वाधिक शिकायतें है। देश में ऐसा कोई राज्य नहीं हैं, जहां से लोगों ने इस बारे में शिकायतें नहीं की हैं। खास बात ये है कि इन शिकायतें में गतवर्ष खासी वृद्धि हुई है।

माना जा रहा है कि डाक विभाग ने पिछले साल ही भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपपीबी) सेवा शुरू की है। इसकी वजह से विभाग की अपनी पुरानी सेवाएं प्रभावित हुई हैं, जिन पर देशभर के लोग बहुत विश्वास करते हैं। आईपीपीबी के तहत विभाग घर तक धन की निकासी और जमा सेवा मुहैया कराई जाएगी।

मंत्रालय की ओर से डाकियों के लिए 153 करोड़ रुपये की मोबाइल खरीद का जिम्मा सरकारी ई-प्लेटफार्म जेम को सौंपा गया है। इसके तहत गांव के लोगों को बचत खाता चालू खाता, मनी ट्रांसफर तथा प्रत्यक्ष लाभांतरण के अलावा बिल, यूटिलिटी एवं व्यापारिक भुगतान जैसी अनेक सेवाएं प्राप्त होंगी।

गौरतलब है कि मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि मनीऑर्डर के देरी से और नहीं पहुंचने को लेकर शिकायत निपटारा के माध्यम बढ़ने की वजह से गतवर्ष बढ़ोत्तरी हुई है। इसके लिए आईपीपीपबी को दोष दिया जाना उचित नहीं है।

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