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मन्नान वानी ढेर, कश्मीर में राजनीति तेज़, एएमयू तीन छात्र निष्कासित

नई दिल्ली/अलीगढ़। सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में बुधवार को मन्नान सहित तीन आतंकियों को एनकाउंटर में मार गिराया था। मुठभेड़ के दौरान घटनास्थल पर 500 स्थानीय लोग जमा हो गए और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करने लगे। इससे सुरक्षाबलों को ऑपरेशन पूरा करने में परेशानी हुई। कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने पर राजनीति नई नहीं है। इससे पहले आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद तत्कालीन सीएम महबूबा मुफ्ती कहा था कि सेना को मुठभेड़ स्थल पर बुरहान वानी की मौजूदगी का पता नहीं था। अगर उनको इस बात की जानकारी होती तो वे उसे गोली नहीं मारते। मन्नान वानी की मौत पर घाटी में फिर राजनीति शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने वानी की मौत पर दुख जताया है। महबूबा मुफ्ती के बयान का बीजेपी ने कड़ा विरोध किया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता ने कहा कि महबूबा निराश हैं। एक आतंकी की मौत पर उनका इस तरह शोक जताना राष्ट्र विरोधी तत्वों को खुश करने की कवायद है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर लिखा, “आज एक पीएचडी स्कॉलर ने जिंदगी की जगह मौत को चुना और एक मुठभेड़ में मारा गया। उसकी मौत पूरी तरह से हमारा नुकसान है क्योंकि हम हर दिन जवान पढ़े-लिखे लड़कों को खो रहे हैं।” मन्नान वानी अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में जियॉलजी से पीएचडी का छात्र था। पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर एके-47 के साथ उसकी एक तस्वीर साझा हुई थी जिसके कैप्शन में उसके ‘ऐटिवेशन डेट’ के तौर पर 5 जनवरी लिखा था। जिसके बाद से उसके हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल होने का अंदेशा जताया जा रहा था। मन्नान वानी तीन जनवरी से लापता था। मन्नान की तस्वीर सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मन्नान को निलंबित कर दिया था। मन्नान के मारे जाने पर अलगाववादी नेता मीरवायज उमर फारूक ने ट्वीट में लिखा, ”अफसोस! मन्नान वानी और उसके सहयोगियों की शहादत की दुखद खबर सुनी। गहराई से पीड़ा है कि हमने एक उभरते हुए बुद्धिजीवी और लेखक को खो दिया। ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) ने श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कल बंद की अपील करती है।” बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में कई महीनों तक तनाव रहा और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी का दौर चला। इस दौरान हालात पर काबू पाने के लिए प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन का प्रयोग भी किया गया जिसमें कई कश्मीरियों की मृत्यु और कई लोगों के आंखे चली गईं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी तीन छात्र निष्कासित
उधर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर मन्नान बशीर वानी के जनाजे की नमाज पढ़ने की कोशिश करने के आरोप में तीन कश्मीरी छात्रों से सस्पेंड कर दिया है। मन्नान वानी एएमयू में रिसर्च स्कॉलर था और बीच में ही पढ़ाई छोड़कर हिज्बुल में शामिल हो गया था। मन्नान वानी के मारे जाने की खबर के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के केनेडी हॉल में लगभग 15 छात्र एकत्र हुए। उन्होंने वानी के लिए यहां नमाज पढ़नी शुरू की। यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर मोहसिन खान ने बताया कि तीनों छात्रों ने अनुशासनहीनता की। इन छात्रों ने यूनिवर्सिटी के नियमों का उलंघन करते हुए गैरकानूनी तरीके से सभा बुलाई। तीन छात्रों को सस्पेंड करने के अलावा चार छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन चार छात्रों पर सस्पेंड किए गए छात्रों का सपॉर्ट करने का आरोप है। छात्रों का ऐकडेमिक रिकॉर्ड निकलवाया जा रहा है। प्रॉक्टर ने साफ किया कि राष्ट्रविरोधी गतिविधियां यूनिवर्सिटी परिसर में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। प्रॉक्टर ने बताया कि मन्नान वानी के आंतकवादी संगठन में शामिल होने के बाद यूनिवर्सिटी ने उसे कॉलेज से निष्काषित कर दिया था। मन्नान का यूनिवर्सिटी से कोई संबंध नहीं था। एएमयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन सभा में पहुंचे और उन्होंने छात्रों को मन्नान वानी के लिए नमाज अदा करने से मना किया। फैजुल ने बताया कि उन्होंने छात्रों से कहा कि एक आंतकवादी के लिए नमाज अदा करना गलत बात है। इस तरह की ऐक्टिविटी से यूनिवर्सिटी का नाम खराब होता है। अगर वे ऐसा करना चाहते हैं तो उन्हें यहां से कश्मीर चले जाना चाहिए।

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