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महाराष्ट्र की पूर्व आईजी ने बताया कसाब और याकूब की फांसी में क्या था फर्क?

कसाब और याकूब मेमन की फांसी में अहम भूमिका अदा करने वालीं मीरा चड्ढा बोरवणकर शनिवार को ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट के डायरेक्टर जनरल के पद से रिटायर हो गईं। वह महाराष्ट्र की पूर्व इंस्पेक्टर जनरल (जेल) होने के साथ-साथ इकलौती ऐसी महिला आईपीएस ऑफिसर हैं जिन्होंने फांसी देखी। दोनों घटनाओं के बारे में बात करते हुए मीरा ने कहा कि अजमल कसाब की फांसी के वक्त उन्हें गोपनीयता का ख्याल रखना था और याकूब मेमन के वक्त पूरे देश की नजरें खुद ही उनपर थीं।
मीरा ने कहा कि दोनों मामले उनके 36 साल के करियर में सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण और विवादित थे। भारत में पिछले तीस सालों में तीन को ही फांसी दी गई है। इसमें कसाब, याकूब और अफजल गुरु शामिल हैं। कसाब को 2012 और याकूब को 2015 में फांसी दी गई थी।

कसाब के मामले का जिक्र करते हुए मीरा ने बताया कि तब इस बात का पूरा ख्याल रखा गया था कि मीडिया तक फांसी की जानकारी किसी तरह ना पहुंच जाए। मीरा ने बताया
कि मीडिया की नजरों से बचने के लिए वह अपने गनर की बाइक पर बैठकर मुंह और यूनिफॉर्म को छिपाकर यरवादा जेल पहुंची थीं।

मीरा ने बताया कि कसाब को भी नहीं पता था कि उसके साथ क्या होने वाला है। मीरा के मुताबिक, कसाब का शव लेने कोई रिश्तेदार नहीं आया था और पाकिस्तान ने भी उसको अपना नागरिक मानने से इंकार कर दिया था।

क्या सच में वायरल वीडियो याकूब की फांसी का था?

कसाब की फांसी के ढाई साल बाद मीरा को याकूब को फांसी का काम सौंपा गया। तब मीरा महाराष्ट्र की ADG (जेल) थीं। याकूब 1993 मुंबई ब्लास्ट केस में दोषी था।
मीरा ने बताया कि याकूब ने उनसे कहा था कि मैडम चिंता मत करिए कुछ नहीं होगा। याकूब ने मीरा को यह भी बताया था कि उसने अपनी सारी जमीन-जायदाद बीवी और
बेटी के नाम की है क्योंकि वे दोनों उसकी दो आंखों की तरह थीं।

याकूब को फांसी होने के बाद मीरा के पास सीएम ऑफिस से फोन आया था। उस फोन को सुनकर मीरा हैरान रह गईं। सीएम ऑफिस द्वारा मीरा से पूछा जा रहा था कि याकूब को फांसी देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर कैसे आ गया? बाद में पता लगा कि वह एक हिंदी फिल्म का सीन था जिसको याकूब की फांसी वाला बताकर शेयर किया जा रहा था।

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