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मां खोजती रही इकलौते चिराग को, गड्ढे में यूं डूब गया था मासूम

आठ साल पहले जिस वनवासी छात्रावास भवन के निर्माण में अपने घर से पानी व अन्य सुविधाएं देकर सहयोग किया उसी भवन के गड्ढे में परिवार ने अपना इकलौता वारिस खो दिया। 10 साल की मिन्नतों के बाद पुत्र का जन्म हुआ था। कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाकर चीख-चीखकर रोने लगी मां।  
– घटना मातृछाया वनवासी आश्रम के परिसर में हुआ। भवन के सामने ही बिना किसी घेराबंदी के खुल हुए परिसर में दो माह पूर्व इसके संचालकों द्वारा कुआं खुदवाना शुरू किया गया था।
– 10-12 फुट खुदाई के बाद बारिश से उस गड्ढे में पानी भर गया और खुदाई का काम बंद कर दिया गया। इस खुले परिसर में बच्चे खेला करते थे।
– मोहल्ले वालों ने बताया कि किसी अनहोनी की आशंका से वे पानी भरे इस गड्ढे को पटवाने की मांग लगातार आश्रम संचालकों से करते रहे।
– मृतक मासूम के पिता मधुसूदन पटनायक तथा उसके बड़े दादा दामोदर पटनायक ने बताया कि समीप ही गणेश पांडाल लगाए जाने की तैयारियों के चलते चार दिन पूर्व भी वे संचालकों से उनके घर जाकर गड्ढे को पटवाने की मांग कर चुके थे। परन्तु संचालकों की लापरवाही ने घर का चिराग बुझा दिया।
– आक्रोशित मोहल्ले वालों ने आरोपियों पर कार्यवाही होने तक चार वर्षीय मृतक विशाल पटनायक के शव का पोस्टमार्टम व अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया।
– इस बीच मातृछाया वनवासी आश्रम के अध्यक्ष राकेश जैन ने मृतक परिवार को 50 हजार रुपए मुआवजा देने की पेशकश किया। जिसे मृतक परिवार के लोगों ने ठुकरा दिया तथा जिम्मे दार लोगों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग किया।
ऐसे गिरा मासूम
– मृतक के पिता मधुसूदन पटनायक भी गणेश पंडाल की विद्युत झालर लगाने में जुटे हुए थे। समीप ही अनेक बच्चों के साथ विशाल भी खेल रहा था। बड़े बच्चे काम निपटने के बाद अपने-अपने घर चले गए।
– मृतक की मां ने पंडाल के समीप छत पर चढ़े पिता से विशाल के बारे में पूछा। तब मोहल्ले में विशाल की खोजबीन शुरू हुई।
– घंटों खोजबीन के बाद आशंका के आधार पर पानी से भरे गड्ढे में तलाश किया गया, तब मृतक का शव वहां मिला।

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