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मिशन 2019 : मोदी सरकार की घोषणाओं से बढ़ेगा 1 लाख करोड़ का बोझ : रिपोर्ट

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार बड़े स्तर पर लोक-लुभावन घोषाओं को हरी झंडी दे सकती है। क्योंकि, इस बार किसान और आम गरीब आदमी मोदी सरकार की प्राथमिकता में हैं। तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मोदी सरकार इस वर्ग को खुश करने के लिए बिना ब्याज के लोन, प्रति हेक्टेअर के हिसाब से डायरेक्ट कैश ट्रांसफर, गरीबों के खाते में न्यूनतम पैसा भेजने संबंधी योजनाओं को लागू कर सकती है। जानकारों का मानना है कि मोदी मिशन-2019 के के लिए देश की अर्थव्यवस्था पर 1 लाख करोड़ रुपये का बोझ गिर सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पिछले साल पांच राज्यों के हुए विधानसभा चुनाव में तीन अहम राज्यों को अपने हाथ से गवां बैठी। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह किसानों का गुस्सा था क्योंकि सरकार उनकी लागत के हिसाब से फसल की कीमत मुहैया नहीं करा पा रही थी। इस चुनाव ने निजी तौर पर पीएम मोदी की अजेय छवि को काफी नुकसान पहुंचाया।

कई मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार किसानों को राहत देने के लिए कई बड़ी घोषणाओं का ऐलान 1 फरवरी से शुरू होने वाले बजट में कर सकती है। हालांकि, अभी इस पर कोई निश्चित फैसला नहीं किया गया है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि सरकार डायरेक्ट फंड ट्रांसफर और ब्याजमुक्त कर्ज देककर किसानों का दिल जीतने की कोशिश करेगी।

इसी हफ्ते बीजेपी के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने रॉयटर्स से कहा कि पार्टी विस्तार वाली आर्थिक नीतियों पर काम कर रही है। इससे ग्रोथ को नई ताकत मिलेगी और इन्फ्लेशन रेट भी कम रहेगा। अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में किसानों की दयनीय हालत को सुधारना प्राथमिकता है। इसके लिए हमे विस्तारवादी नीति की जरूरत है। अब हमें आर्थिक बढ़त हासिल करने के साथ-साथ वित्तीय घाटा को भी ध्यान में रखान होगा। मोदी सरकार ने छोटे कारोबारियों को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया है। सरकार मानती है कि इससे लोगों की आय बढ़ेगी और वे व्यक्तिगत रूप वाले टैक्सों का भुगतान करेंगे। सामान्य वर्ग के कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के बाद सरकार कॉलेजों में सीटों की संख्या भी बढ़ाने जा रही है। हालांकि, मोदी सरकार की इस पहल को विपक्षी दल चुनावी स्टंट बता रहे हैं।

रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अगर सरकार ब्याज-मुक्त लोन देती है तो उसके ऊपर 12,000 करोड़ रुपये बोझ आएगा। हालांकि, आगामी समय में सिर्फ इतना ही रुपया खर्च करना काफी नहीं होगा। सरकार को इसके अलावा 40,000 करोड़ रुपये अलग-अलग स्कीमों के लिए भी खर्च करने होंगे। वहीं, निजी और कर्मशल टैक्स में कटौती भी राजस्व हानि की ओर ले जाएगी। इससे सरकार को करीब 25,000 करोड़ के राजस्व की हानि होगी। वहीं जीएसटी के तहत सीमेंट पर लगने वाले टैक्स को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी की श्रेणी डाला गया है। इससे सरकार पर 13,000 करोड़ का घाटा होगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार किसानों के खाते में प्रति हेक्टेअर के हिसाब से 2000-4000 रुपये भेजने वाली स्कीम शुरू कर सकती है। यह स्कीम बहुत खर्चे वाली है लेकिन काफी फायदेमंद भी साबित हो सकती है।

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