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मुझे कार्यक्रम में बुलाने से कतराने लगे हैं हिंदू भाई: गुलाम नबी आजाद

भाजपा नेता सम्बित पात्रा ने गुलाम नबी आजाद के बयान के बाद किया पलटवार

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है कि चार साल से उन्हें हिंदू भाई अपने कार्यक्रमों में कम बुलाते हैं, जबकि पहले ज्यादा बुलाते थे, इस पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि एक तरह हिंदुओं को निशाना बनाते हैं, दूसरी तरह इस तरह का बयान देकर हिंदुओं का अपमान कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस बयान के बाद बवाल मच गया है। आजाद ने कहा था कि उन्हें अपने कार्यक्रमों में बुलाने वाले हिंदू भाइयों और नेताओं की संख्या घट गई है। आजाद के बयान पर बीजेपी प्रवक्ता सांबित पात्रा ने कड़ा हमला करते हुए कहा कि उन्हें हिंदू पसंद कहां हैं? बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने आजाद के बयान को हिंदुओं के लिए अपमान बताते हुए कहा है कि गुलाम नबी आजाद का बयान हिंदुओं के प्रति गाली है, उन्होंने हिंदुओं का अपमान किया है और देश की धर्मनिरपेक्षता को चोट पहुंचाया है। पात्रा ने कहा कि कांग्रेस के बुरे दिन आ गए हैं, इसलिए उनको प्रचार के लिए नहीं बुलाया जा रहा है, इसको वो हिंदू मुस्लिम रंग देकर हिंदुओं का अपमान कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि कश्मीरी छात्रों का जिक्र कर दिया गया बयान भी गलत है, अगर कोई राष्ट्रविरोधी गतिविधि करे तो उसकी आलोचना नहीं होगी। पात्रा ने कहा कि एक तरफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की फोटो लगाते हैं, दूसरी तरफ हिंदुओं को टारगेट करते हैं, बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी जवाब दें कि हिंदुओं के साथ ये षड्यंत्र क्यों? पात्रा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में पैसे खर्च कर ‘मोदी हटाओ’ अभियान चला रही है। देश में ये अभियान चलाया जाता है तो समझ में आता है, पर पाकिस्तान में क्यों? नवजोत सिद्धू का दक्षिण भारत की तुलना में पाकिस्तान को करीब बताना और गुलाम नबी आजाद व मणिशंकर अय्यर जैसे कई नेता इस तरह का बयान दे चुके हैं। गौरतलब है कि लखनऊ में बुधवार को सर सैय्यद डे पर हुए कार्यक्रम में गुलाम नबी आजाद का दर्द छलका। उन्होंने कहा कि बीते चार सालों में मैंने पाया है कि अपने कार्यक्रमों में बुलाने वाले जो 95 फीसदी हिंदू भाई और नेता हुआ करते थे, अब उनकी संख्या घटकर महज 20 फीसदी रह गई है। गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि वो जब यूथ कांग्रेस में थे, तब से ही अंडमान-निकोबार से लेकर लक्षद्वीप तक, देश के कोने-कोने में कैंपेन के लिए जाते रहे हैं और उन्हें बुलाने वालों में 95 फीसदी हिंदू भाई और नेता हुआ करते थे, जबकि सिर्फ 5 फीसदी ही मुसलमान उन्हें अपने कार्यक्रमों में बुलाया करते थे। आजाद कहते हैं कि ऐसा होना ये बताता है कि कुछ गलत हो रहा है, वो कहते हैं, आज मुझे बुलाने से आदमी डरता है कि इसका वोटर पर क्या असर होगा?

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