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मॉब लिंचिंग पर सर्वोच्च न्यायालय सख्त, 8 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से दो हफ्ते में मांगा जवाब


नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मॉब लिंचिग को लेकर बार फिर सख्ती दिखाते हुए 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि इन राज्यों ने अभी तक यह नहीं बताया कि इन राज्यों ने गौरक्षा के नाम पर हो रहे उपद्रव और मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए। यहीं नहीं कोर्ट ने सभी राज्यों से दो हफ्ते की भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इन आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिमाचल प्रदेश, दमन और दीव, दादर तथा नगर हवेली, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, तेलंगाना, दिल्ली, नागालैंड और मिजोरम शामिल हैं। यहीं नहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए जन जागरूकता सुनिश्चित करने की दिशा में क्यों कोई कदम नहीं उठाया गया है। कुछ दिन पहले ही प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर एवं डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने बीते जुलाई में भविष्य में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों से निवारक, दंडात्मक एवं उपचारात्मक उपाय करने को कहा था। कोर्ट ने कहा कि 29 राज्यों तथा सात केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 11 ने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या और गोरक्षा के नाम पर हिंसा जैसे मामलों में कदम उठाने के शीर्ष अदालत के आदेश के अनुपालन के बारे में रिपोर्ट पेश की है। एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया है कि कुछ ही हफ्तों में मॉब लिंचिंग और गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा के खिलाफ टीवी और प्रिंट के माध्यम से अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान से लोगों को लाभ होगा और कानून और सुरक्षा व्यवस्था को संभालने में मदद मिलेगी।

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