टॉप न्यूज़राष्ट्रीय

मोदी सरकार आतंकवाद पर पाकिस्तान को किसी प्रकार की ढील देने के मूड में नहीं

पाकिस्तान द्वारा सीमा पर और जम्मू-कश्मीर में फैलाई जा रही अशांति के बाद भी राज्य की सीएम महबूबा मुफ्ती ने भले ही इस्लामाबाद के साथ बातचीत करने की अपील की हो, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार आतंकवाद पर पड़ोसी देश को किसी प्रकार की ढील देने के मूड में नहीं है। केंद्र का मानना है कि किसी तरह की बातचीत से अमेरिका के नेतृत्व में पूरी दुनिया में पाकिस्तान के खिलाफ बने माहौल में नरमी आ सकती है और सरकार ऐसा जोखिम नहीं उठा सकती है।मोदी सरकार आतंकवाद पर पाकिस्तान को किसी प्रकार की ढील देने के मूड में नहीं

सरकारी सूत्रों का कहना है कि महबूबा का पाकिस्तान के साथ बातचीत की पहल वाला बयान कोई नया और आश्चर्यजनक नहीं है। महबूबा शुरू से ही कश्मीर समस्या के समाधान के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत की बात कहती रही हैं। हो सकता है कि महबूबा ने अपने वोटबैंक के लिए ऐसा बयान दिया हो। मोदी सरकार इस बात को इग्नोर नहीं कर सकती है कि पाकिस्तानी सेना ने 2017 में दिसंबर तक सीमा पर 771 बार सीजफायर उल्लंघनकिया है। इसके अलावा घुसपैठ और कश्मीर में आतंकी घटनाओं में भी तेजी आई हैं। 

सरकार के एक अधिकारी ने बताया, ‘अभी शांति प्रयास के लिए सही वक्त नहीं है।’ उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के शांति के प्रयास को कमजोरी की तरह देखा जा सकता है। इसके अलावा इसे बीजेपी सरकार की पाकिस्तान के खिलाफ कड़े स्टैंड में नरमी के तौर पर पेश किया जा सकता है। सितंबर 2016 में सीमा पार की गई सर्जिकल स्ट्राइक को मोदी सरकार अपनी टॉप उपलब्धि के तौर पर गिनाती है। 

एक खुफिया अधिकारी ने बताया, ‘सरकार के सभी अंग चाहे वह विदेश मंत्रालय हो, गृह मंत्रालय हो या फिर रक्षा मंत्रालय, सभी पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रश्रय देने के लिए आलोचना कर रहे हैं। इसके अलावा आतंकी हाफिज सईद और मसूद अजहर को ठिकाना उपलब्ध कराने को लेकर भी भारत पड़ोसी पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है। यहां तक कि पूरी दुनिया का मत इस समय पाकिस्तान के खिलाफ है। अमेरिका ने तो आतंकियों को प्रश्रय देने के कारण पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता राशि ही रोकने का ऐलान कर दिया है।’ 

वैसे भी भारत में अगले साल आम चुनाव होने हैं, ऐसे में राजनीतिक पेच और चुनावी इंपैक्ट को देखते हुए पाकिस्तान के साथ तुरंत बातचीत शुरू होना मुश्किल ही है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 2004 में होने वाले आम चुनाव से पहले 2003 में पाकिस्तान के प्रति दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, लेकिन इस बार सरकार पाकिस्तान के बिना किसी ठोस अश्वासन के ऐसा नहीं करने वाली है। अब सरकार का फोकस जम्मू-कश्मीर में लोगों से बातचीत करने पर केंद्रित है। हालांकि सरकार का एक नजरिया यह भी है कि आने वाले समय में पड़ोसी से बातचीत करनी पड़ सकती है। 

Related Articles

Back to top button