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यूपी से गायब हुआ दुनिया का सातवां अजूबा… जानिए कैसे

सामान्य ज्ञान का एक बेहद साधारण का सवाल है जो अक्सर छात्रों से पूछा जाता है दुनिया का सातवां अजूबा ताजमहल, कहां स्थित है? जबाव बेहद आसान है यूपी के आगरा में.. पर अब लगता है इसका जवाब बदलना पड़ेगा क्योंकि ताजमहल की इमारत भलें ही यूपी में खड़ी है पर यहां के पर्यटन लिस्ट में इसका नाम  ही नही है जबकि इस बुकलेट में राज्य के सभी टूरिस्ट स्थलों के बारे में चित्र सहित लिखा होता है। ऐसे में तो यही माना जाएगा कि ताजमहल यूपी में है ही नही.. तभी तो जिस ताजमहल का तिलिस्म दुनिया के तमाम देशों से टूरिस्ट्स को भारत खींचकर लाता रहा है, दुनिया की तमाम टूरिस्ट्स गाइड डेस्टिनेशन में इसे खास जगह दी जाती रही है वही ताजमहल अब यूपी के टूरिज्म बुकलेट से गायब हो चुका है।

यूपी के पर्यटन स्थलों की सूची से ताजमहल गायब, गोरखनाथ मठ हुआ शामिल

दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में राज्य के पर्यटन स्थलों की बुकलेट जारी की है जिसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि इसमें ताजमहल का नाम शामिल ही नहीं है जबकि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के गृह जनपद स्थित गोरखधाम मंदिर को जगह दी गई है।

अंग्रेजी समाचार चैनल टाइम्स नाउ की ओर से जारी किए गए बुकलेट में दो पन्ने सिर्फ गोरखधाम मंदिर को दिए गए हैं। बुकलेट में गोरखपुर के मंदिर से लेकर चित्रकूट तक को जगह दी गई है.. इसमें रामलीला के चित्रों को भी जगह दी गई है. इको टूरिज्म, गढ़मुक्तेश्वर, चुनार किला, सलखन फॉसिल, ब्रज भूमि, कुशीनगर आदि राज्य के प्रमुख स्थलों का जिक्र है… मगर योगी सरकार के अफसरों ताजमहल कहीं से भी प्रमुख टूरिस्ट स्थल नहीं लगा।

सरकार ने रखा अपना पक्ष

हालाकिं खबर के मीडिया में आने के बाद सरकार इस मामले में बचाव में उतर चुकी है ..प्रदेश की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और प्रमुख सचिव पर्यटन अवनीश अवस्थी ने यह साफ किया कि ताजमहल की उपेक्षा कतई नहीं की गई है। बुकलेट को सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस के उद्देश्य से जारी किया गया है… ये बुकलेट यूपी टूरिज्म स्थलों के गाइड के लिए नहीं है। देर शाम तक सूचना विभाग की ओर से जारी सूचना में यह बताया गया कि प्रदेश सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से संचालित प्रो-पुअर टूरिज्म योजना के तहत तकरीबन 370 करोड़ रुपये की परियोजनाएं प्रस्तावित की हैं। उसमें ताजमहल और ताजमहल क्षेत्र के विकास से जुड़े तकरीबन 156 करोड़ रुपये के काम भी शामिल हैं। तीन महीने में इसकी मंजूरी मिलने की पूर्ण उम्मीद है।

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