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ये हैं वो 3 वजहे जिनकी वजह से कभी सचिन जैसे बल्लेबाज नहीं बन सकते पृथ्वी

वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने डेब्यू में धमाकेदार शतक लगाने वाले पृथ्वी शॉ ने वर्ल्ड क्रिकेट में तहलका मचा दिया. पृथ्वी के बैटिंग के तरीके को देखकर उनकी तुलना वर्ल्ड क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में शुमार रहे सचिन तेंदुलकर से की जाने लगी. कई दिग्गजों ने यह माना कि पृथ्वी शॉ बिल्कुल सचिन की तरह बल्लेबाजी करते हैं. जबकि कई जानकारों ने यह कहा कि सचिन से उनकी तुलना करना अभी जल्दबाजी होगी. पृथ्वी शॉ और सचिन में कई समानताएं हैं जैसे दोनों का जन्म मुंबई में हुआ, दोनों ही छोटे कद के हैं और दोनों ने ही कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया. लेकिन इसके बावजूद 3 ऐसे कारण हैं, जिससे वह शायद सचिन की तरह नहीं बन पाएं.

ये हैं वो 3 वजहे जिनकी वजह से कभी सचिन जैसे बल्लेबाज नहीं बन सकते पृथ्वी1. बल्लेबाजों के युग में पैदा हुए हैं पृथ्वी

पृथ्वी शॉ और सचिन तेंदुलकर के दौर में जमीन-आसमान का अंतर है. सचिन ने जिस दौर में अपना डेब्यू किया उस दौर में गेंदबाजों का काफी कहर रहता था. वहीं, पृथ्वी ऐसे दौर में क्रिकेट खेल रहे हैं जहां बल्लेबाज गेंदबाजों पर हावी हैं. सचिन ने पाकिस्तानी के घातक गेंदबाजों के सामने अपना टेस्ट डेब्यू किया था, वहीं अपना पहला टेस्ट शतक उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर के कठिन हालात में बनाया था. पृथ्वी की असली परीक्षा ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका जैसे दौरों पर होगी, जहां सचिन ने ढेरों रन बनाए हैं.

2. बैटिंग स्टाइल

बल्लेबाजी में सचिन तेंदुलकर और पृथ्वी का रवैया अलग है. सचिन तेंदुलकर हालात के अनुसार पहले खुद को ढालते थे और फिर गेंदबाजों पर अटैक करते थे. पृथ्वी शॉ शुरुआत से ही काफी आक्रामक रहते हैं. ऑस्ट्रेलिया में नई गेंद का सामना करना सबसे बड़ी चुनौती होती है, ऐसे में उन्हें अपनी अटैकिंग टेक्नीक से अलग अपनी डिफेंसिव टैक्नीक पर अधिक काम करना होगा. पृथ्वी गेंद की लाइन में आकर नहीं खेलते और उन्हें बैकफुट पर जाकर खेलना पसंद है और वह विकेट के स्क्वायर में खेलते हैं. पृथ्वी के बल्ले और शरीर के बीच काफी अंतर होने से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में उन्हें परेशानी हो सकती है.

3. टीम इंडिया में कॉम्पिटिशन

पृथ्वी शॉ के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी लगातार अच्छा प्रदर्शन करके खुद को टीम में बनाए रखने की, ताकि वह सचिन की तरह इंटरनेशनल क्रिकेट में खुद को लंबे समय तक सर्वाइव रख सकें. मौजूदा दौर में यह सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि टीम में कॉम्पिटिशन बहुत है. एक-दो खराब परफॉरमेंस का पूरे करियर पर असर पड़ सकता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण करुण नायर हैं, जिन्होंने तिहरा शतक लगाने के बावजूद टेस्ट टीम में अपनी जगह गंवा दी. पृथ्वी शॉ को लंबे समय तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के लिए अपना बेस्ट प्रदर्शन करना होगा.

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