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योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल, पिछड़ों और दलितों की भागीदारी बढ़ाने की योजना


लखनऊ : लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा अपने फ्रंटल संगठनों में नए चेहरों को मौका देने के बाद सरकार में भी कुछ नया करने का मन बना रही है। योगी सरकार के कई मंत्री कसौटी पर खरे हैं लेकिन, कुछ संगठन को पसंद नहीं तो कुछ मुख्यमंत्री को। यही वजह है कि एक बार फिर फेरबदल को लेकर यहां से लेकर दिल्ली तक चर्चा तेज हो गई है मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए कई बार सक्रियता बढ़ी लेकिन, किसी न किसी वजह से यह टल गया।

फिर यह बात आयी कि योगी सरकार के एक वर्ष पूरा होने के बाद कुछ मंत्री हटाये जाएंगे और कुछ विधायकों को समीकरण के हिसाब से मौका मिलेगा। वहीं योगी सरकार के सवा साल बीत जाने के बाद भी कोई फेरबदल नहीं हुआ। विधानसभा का मानसून सत्र 15 अगस्त के बाद संचालित होने के संकेत मिले हैं। फिलहाल सत्र के हफ्ते भर ही चलने की बात है। सूत्रों का कहना है कि अगर मंत्रिमंडल में फेरबदल करना हुआ तो सत्र को भी ध्यान में रखा जाएगा। इधर भाजपा चुनावी मुहिम में पूरी तरह सक्रिय हो गई है। मिशन 2019 के लिए लोकसभा की 73 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी निमित्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के प्रदेश में दौरे भी लगने शुरू हो गए हैं। 35 दिनों के भीतर संतकबीरनगर, नोएडा, आजमगढ़, मीरजापुर, वाराणसी, शाहजहांपुर और लखनऊ में बड़ी सभाएं करके मोदी ने विकास के एजेंडे को मजबूती दी और योगी सरकार की खूब सराहना की। अब योगी सरकार भी विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने के साथ ही आमजन के बीच लोकप्रियता के लिए सक्रिय है। इस अभियान में सबसे रोड़ा वे मंत्री हैं जिनकी शिकायत कार्यकर्ता से लेकर भाजपा सांसद और विधायक ही कर रहे हैं। ऐसे आधा दर्जन से अधिक मंत्री हैं जिनके विभागों में भी तमाम शिकायत है, और उनके व्यवहार को लेकर भी कार्यकर्ता आक्रोशित हैं। इस स्थिति में उन्हें हटाकर उनके ही समाज के प्रतिनिधि को मौका देने की योजना है। योगी सरकार में पिछड़ों और दलितों की भागीदारी बढ़ाने की योजना है। पिछड़ों और दलितों के बीच लोकप्रिय चेहरों को मौका मिल सकता है। भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता यह संकेत दे रहे हैं, कि कभी भी फेरबदल हो सकता है| लेकिन कई नेताओं का यह भी तर्क है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के चंदौली से लेकर कई दौरे लगे हैं। उन्हें मेरठ में 11 और 12 अगस्त को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी आना है। चुनावी रूपरेखा तय करनी है। ऐसे में यह आगे भी टल सकता है।

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