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राजनीती से दूर अब मां वैष्‍णो देवी की शरण में पहुंचे सिद्धू, जानें कैसे लीन हैं साधना में

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ रिश्तों में खटास और अपना विभाग बदले जाने के बाद कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू आजकल राज्‍य में ‘गायब’ हैं। सिद्धू राजनीतिक झटके के बीच सियासत से दूर पिछले एक सप्ताह से माता वैष्णो देवी के भवन में तपस्‍या में लीन हैं। वह मां वैष्‍णाे देवी की पूजा में लीन हैं। इस दौरान वह किसी से भी नहीं मिलते हैं। उन्होंने सभी को उनकी तस्वीर लेने से भी मना कर रखा है।

भवन में सुबह-शाम मां की आरती में ले रहे भाग, किसी से नहीं मिलते, दिनभर कमरे में करते हैं पूजा-पाठ

सिद्धू 3 जुलाई को वैष्णो देवी भवन पहुंचे थे। वह वहां मां वैष्णो की भक्ति में दिनभर लीन रहते हैं। सिद्धू रोज सुबह जल्दी उठ जाते हैं और मां के दरबार में सुबह होने वाली श्रृंगार आरती में भाग लेते हैं। आरती खत्म होने के बाद वह किसी से कोई बातचीत नहीं करते और तुरंत भवन में एक कमरे में चले जाते हैं। दिनभर वह अपने कमरे में ही मां की भक्ति में लीन रहते हैं। शाम को फिर से होने वाली माता वैष्णो की श्रृंगार आरती में भाग लेते हैं। सूत्रों के अनुसार, कुछ श्रद्धालुओं ने उनसे बात करने व सेल्फी लेने की भी गुजारिश की, लेकिन उन्होंने सहजता से मना कर दिया।

तस्वीर लेने से भी कर रखा है मना, एक-दो बार भैरव घाटी भी गए और दर्शन कर जल्द लौट आए

इन दिनों गुप्त नवरात्र भी चल रहे हैं। मान्यता है कि इनमें भक्ति करने वालों की मां वैष्णो हर मुराद पूरी करती हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि सिद्धू मां के दरबार में आए हों और अध्यात्म में डूबे हों। इससे पहले भी वह कई बार मां के भवन में आते रहे हैं, लेकिन पहली बार वह इतने लंबे समय तक यहां रुके हैं। पिछले एक सप्ताह में वह कभी कभार पैसेंजर केबल कार में सवार होकर भैरव घाटी पहुंचकर बाबा भैरवनाथ के दर्शन करने गए और फिर जल्द लौट भी आए। सफेद कुर्ते-पायजामे और आसमानी रंग की पगड़ी पहन कभी कभार वह पैसेंजर केबल कार में सवार होकर भैरव घाटी पहुंचकर बाबा भैरवनाथ के दर्शन करते हैं और फिर लौट आते हैं। भैरव नाथ मंदिर में भी सिद्धू ध्यान की मुद्रा में घंटो बैठे रहते हैं। मंदिर के सूत्रों अनुसार, नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों गुप्त नवरात्र के चलते वीरवार तक वैष्णो देवी भवन पर ही रहेंगे। सिद्धू वैष्णो देवी में जब कमरे से बाहर निकलते हैं तो किसी को अपनी फोटो भी नहीं खींचने देते हैं।

जब से उनका विभाग बदला है, यह दूसरा मौका है जब वह माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आए हैं। इससे पहले वह 20 जून से लेकर 26 जून तक भी यहां रहे थे और सुबह व शाम की आरती के समय माता के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते रहे। सिद्धू की माता वैष्‍णो देवी में प्रगाढ़ आस्था है। वह भगवान शिव के भी भक्‍त हैं।

बताया जाता है कि उन्होंने गुरुनगरी अमृतसर स्थित अपने घर पर मंदिर बनाया हुआ है जिसमें पारे का शिवलिंग के साथ-साथ देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित कर रखी हैं। पूजा पाठ के लिए बकायदा पुजारी भी रखा हुआ है। जब सिद्धू ने अमृतसर में घर बनाया था तो प्रवेश से पहले ही घर में करीब सालभर हवन यज्ञ का करवाया गया था। जिसमें खुद सिद्धू और उनकी पत्नी भी शामिल होती थीं।

जब भी सिद्धू किसी विवाद या फिर मुसीबत में घिरते हैं तो वह दो ही जगहों महाकालेश्वर (उज्जैन) और माता वैष्णो देवी की शरण में जाते हैं। महाकालेश्वर में सिद्धू तड़के चार बजे होने वाली भस्म आरती में शामिल होते हैं तो वैष्णो देवी में भी उनका रूटीन यही है। इससे पहले जब पटियाला में एक झगडे के दौरान दुर्घटनावश एक व्यक्ति मारा गया था और कोर्ट में उन पर फैसला आना था तब भी वह महाकाल की शरण में गए थे।

गौरतलब है कि पंजाब की कैप्टन सरकार में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद सिद्धू को शहरी निकाय विभाग के स्थान पर बिजली विभाग का मंत्री बनाया गया था। मगर उन्होंने अभी तक उसका कार्यभार नहीं संभाला है। कैप्टन और सिद्धू के बीच के रिश्तों में आई कड़वाहट के बीच इस बार मां के भवन में पहुंचने पर उन्होंने इस बार किसी को आने की भनक भी नहीं लगने दी।

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इधर अमृतसर में लगा सिद्धू को झटका, इंप्रूवमेंट ट्रस्टों में विरोधियों को तरजीह

दूसरी ओर, अमृतसर में सिद्धू को एक झटका लगा है। एक महीने पहले स्थानीय निकाय विभाग से उनको हटाए जाने के बाद सरकार ने विभाग के अधीन आने वाले नगर सुधार (इंप्रूवमेंट) ट्रस्टों में जो चेयरमैन लगाए हैं, उनमें सिद्धू के विरोधियों को ही तरजीह दी गई है। खासतौर अमृतसर व लुधियाना को देखकर ऐसा ही लग रहा है। यहां पर दिनेश बस्सी को चेयरमैन लगाया गया है। सिद्धू ने उन्हें हाशिए पर ही रखा था। अब उनके हाथ से विभाग जाते ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिनेश बस्सी को नगर सुधार ट्रस्ट अमृतसर का चेयरमैन लगा दिया।

लुधियाना नगर ट्रस्ट में भी भारत भूषण आशु ने अपने चहेते रमन सुब्रह्मण्यम को यह पद दिला कर सिद्धू से बाजी मार ली है। आशु की नवजोत सिंह सिद्धू सहित पिछले लंबे समय से खींचतान चल रही है। जालंधर में भरतइंद्र सिंह चहल कैप्टन के व पटियाला में संत बांगा ब्रह्म मोहिंदरा के करीबी हैं।

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते जिन तीन मंत्रियों ने सिद्धू के मामले को लेकर कांग्रेस के सीनियर नेता अहमद पटेल से मुलाकात की थी, उनमें से दो ने अपने-अपने करीबियों को यह पोस्ट दिलाने में कामयाबी हासिल कर ली है। स्थानीय निकाय विभाग में पहले विभिन्न नगर निगमों के मेयर नियुक्त करने के मामले में नवजोत सिद्धू की नहीं चली थी।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सभी प्रमुख नगर निगमों में अपनी पसंद के मेयर नियुक्त किए थे, जबकि सिद्धू अपनी पसंद के मेयर लगवाना चाहते थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को तब भी साफ कर दिया था कि विभागों के प्रमुखों को लगाने का अधिकार केवल मुख्यमंत्री के पास है और पार्टी ने किस को मेयर लगाना है, किसको नहीं यह देखना उनका काम नहीं है। ठीक ऐसा ही अब नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन लगाने को लेकर हुआ है।

हाईकोर्ट ने कहा था- खजाने पर बोझ हैं ट्रस्ट

दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सरकार बनते ही सभी नगर सुधार ट्रस्टों को खत्म करने का निर्णय लिया था और यह मामला कैबिनेट की मीटिंग में भी लाया गया था। सरकार की दलील थी कि चूंकि अब सभी बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों को मिलाकर डेवलपमेंट अथॉरिटी बना दी गई हैं, ऐसे में नगर सुधार ट्रस्टों का कोई काम रह नहीं गया है। यह खजाने पर बोझ हैं। इसलिए इन सभी को डेवलपमेंट अथॉरिटी में मर्ज कर दिया जाना चाहिए, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि क्योंकि वह विभाग में नए हैं और उनके विभाग के इतने महत्वपूर्ण फैसले को अमल में लेने से पहले वह इसका अध्ययन करना चाहेंगे।

उनकी इस दलील पर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को भंग करने का विचार स्थगित कर दिया गया। सिद्धू ने कहा था कि दो महीनों में ही इसकी रिपोर्ट कैबिनेट में रखेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वह सभी नगर सुधार ट्रस्ट अपनी पसंद के चेयरमैन लगाना चाहते थे।

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