Lucknow News लखनऊNational News - राष्ट्रीयPolitical News - राजनीतिState News- राज्यउत्तर प्रदेशफीचर्ड

राजा भइया ने रैली में भीड़ जुटाकर कराया अपनी ताकत का एहसास

लखनऊ: लगातार 6 बार से निर्दल विधायक के तौर पर सियासी पाली खेलने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया ने दलगत राजनीति की शुरूआत कर दी है। इसके साथ ही उन्होंने राजधानी के सबसे बड़े रमाबाई अंबेडकर मैदान में शुक्रवार को आयोजित एक बड़ी रैली में भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का एहसास भी कराया। इस मौके पर उन्होंने अपनी नई पार्टी की घोषणा करते हुए पार्टी की नीति व रीति व एजेंडे का भी खुलासा किया। एसटी-एसटी एक्ट में संशोधन और आरक्षण जैसे मुद्दों को दलित व सवर्णों के बीच खाई पैदा करने के लिए उठाया गया कदम बताते हुए राजा भइया ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए एससी-एसटी एक्ट में संशोधन कर दलित और सवर्ण को आपस में लड़ाने का काम किया जा रहा है। हाल में किया गया संशोधन गलत मंशा से किया गया है। इसी तरह आरक्षण का लाभ भी क्रीमी लेयर के लोग ही उठा रहे हैं, जिसे बंद किया जाना चाहिए।

प्रतापगढ़ के कुंडा विधान सभा क्षेत्र से 1993 से लगातार निर्दल चुनाव जीतने वाले राजा भइया के राजनीतिक जीवन के 25 साल पूरे के उपलक्ष्य में आयोजित ‘रजत जयंती सम्मान समारोह’ प्रदेश भर के आई भारी भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने राजनीति को सेवानीति की संज्ञा देते हुए दलगत राजनीति शुरू करने की घोषणा की और कहा कि नई पार्टी केगठन की पक्रिया शुरू कर दी गई है और चुनाव आयोग में आवेदन कर दिया गया है। जल्द आयोग द्वारा उनकी प्रस्तावित पार्टी का नाम ‘जनसत्ता दल’, ‘जनसत्ता पार्टी’ या ‘जनसत्ता लोकतांत्रिक दल’ में कोई एक तय कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कराए गए सर्वे के आधार पर ही उन्होंने नया दल बनाने का फैसला किया है। इस सर्वे में 20 लाख लोगों में 80 प्रतिशत लोगों ने अलग पार्टी बनाने का सुझाव दिया था। इसलिए उन्होंने नया दल बनाने का फैसला किया है।

भीड़ के सामने उन्होंने अपनी पार्टी का नजरिया स्पष्ट करते हुए कहा कि एससी-एसटी के दुरुपयोग, आरक्षण व्यवस्था की विसंगतियां, किसानों, युवकों व बेरोजगारी जैसे आमजन व समाज को प्रभावित करने वाले बहुत से ऐसे मुद्दे हैं, जिसे राजनीतिक दलों ने दूरी बना रखी है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी लोगों को जाति में बांटने के बजाए समानता की लड़ाई लड़ेगी।एससी-एक्ट को संशोधित किए जाने का विरोध करते हुए राजा भइया ने कहा कि जो लोग संसद में कभी भी एक राय नहीं होते थे, वह इस मुद्दे पर एक हो गए। इससे साफ है कि सभी राजनीतिक दल वोट की राजनीति के लिए दलित व गैर दलित को बांटना चाहती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह दलित विरोधी नहीं है, क्योंकि दलित भी इसी समाज का अंग है। हत्या, रेप व आपदा के पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने के मामले पर सरकारों पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए राजा भइया ने कहा कि जब संविधान में सभी को समान अधिकार है तो यह सरकारी स्तर पर भेदभाव क्यों किया जा रहा है।

ऐसे मामलों के पीड़ित गैर दलितों को भी उतनी ही धनराशि मदद मिलनी चाहिए, जितनी दलित पीड़ितों को दी जाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह दलितों का आर्थिक मदद दिए जाने का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि सभी जातियों को बराबर मदद दिए जाने की मांग करते हैं।उन्होंने कहा कि सिर्फ युद्ध या विशेष परिस्थितियों में शहीद होने वाले सैनिको को ही सुविधाएं दी जाती है। जबकि हमारी पार्टी की एजेंडा होगा कि किसी भी परिस्थिति में शहीद होने वाले सैनिक व अर्धसैनिक बलों को भी कम से कम एक करोड़ रुपये की सहायता दी जाए। आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए राजा ने कहा कि इस व्यवस्था में सुधार होना चाहिए। जिसके लिए बाबा साहेब ने संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की थी, उन लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है। इसके अलावा भी समाज के कई वर्ग के लोग पिछड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ ले चुके आइएएस-आइपीएस अधिकारियों के बच्चों को आरक्षण के दायरे से बाहर करके गरीबों को लाभ देना चाहिए।

राजधानी के सबसे बड़े मैदान में उमड़ी भीड़ से गदगद राजा ने कहा कि वह दिन अब दूर नहीं, जब कुंडा वाले राजनीतिक दलों के कुंडली लिखेंगे। खुद को जातिगत राजनीति रहने की वकालत करते हुए राजा ने कहा कि कुंडा विस क्षेत्र में 4 लाख मतदाता हैं, जिसमें से क्षत्रियों की संख्या मात्र 12 हजार है, लेकिन हर साल उनकी जीत का अंतर बढ़ता ही जाता है। राजा भइया को भी उम्मीद नहीं थी कि रमाबाई मैदान में इतनी भीड़ जुटेगी। अपने संबोधन में उन्होंने यह बताया भी। मैदान की सीढियों को छोड़ बाकी सारा मैदान खचाखच भरा हुआ था। मैदान के बाहर भी वाहनों की रेला था। शहीद पथ पर भी दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार थी। यह कतार रमाबाई लेकर रायबरेली रोड कर लगी थी। लोग पैदल ही उतर कर मैदान में जा रहे थे। लोगों का आकलन था कि 90 हजार से एक लाख तक भीड़ थी।

Related Articles

Back to top button