लखनऊ

राज्य सूचना आयुक्त ने की आरटीआई भवन में भाषा विभाग के अधिकारियों की समीक्षा बैठक


लखनऊ : राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने भाषा विभाग, उप्र के अधिकारियों की समीक्षा बैठक करते हुए, सम्बन्धित अधिकारियों से जानकारी चाही कि “सूचना अधिकार अधिनियम-2005” के तहत भाषा विभाग की आरटीआई से सम्बन्धित अब तक की प्रगति रिपोर्ट कैसी है, आवेदनों को शीघ्र निपटाने में उनके सामने कैसी समस्याएं आती है। कितने वाद लम्बित है, आवेदनों का अधिनियम के तहत निस्तारण किया गया है, या नहीं। कितने आवेदन-पत्र आये हैं, कितने वादी ऐसे हैं, जो जनसूचना अधिकारी से संतुष्ट न होने पर उनके द्वारा अपील की गयी है, और अपील से भी संतुष्ट न होने पर अब राज्य सूचना आयोग में कितने वाद लम्बित है।

राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान नेे अधिकारियों को निदेर्शित किया कि वह आरटीआई के नियमों के तहत आवेदनों को गम्भीरता से ले, और उनका नियम के तहत निस्तारण करे, अधिकारियों द्वारा दिये गये रिपोर्ट पर आयोग ने उन्हें पुनः निदेर्शित किया कि पिछले 2 विर्षों की रिपोर्ट अगली तिथि 28.08.2018 को पेश करें। जनसूचना अधिकारी/अपीलीय अधिकारी नाम, पद नाम और मोबाइल नम्बर, मिलने का समय (नेमप्लेट) में अवश्य लिखे इसकी भी जानकारी आयोग को दे। समीक्षा बैठक में उपस्थित अधिकारियों द्वारा महोदय को अवगत कराया गया कि भाषा विभाग के अधीनस्थ इकाइयां सिन्धी एकेडमी, उप्र पंजाब एकेडमी, उप्र संस्कृत संस्थान, हिन्दी भाषा, उर्दू भाषा, फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल, हिन्दुस्तानी अकादमी, राज्य कर्मचारी विभाग व अन्य संस्थाएं है। इस पर आयुक्त ने उपस्थित अधिकारियों को निदेर्शित किया कि सम्बन्धित अधीनस्थ इकाइयों में भी जनसूचना अधिकारी/अपीलीय अधिकारी नियुक्त किये जाये और सम्बन्धित रिपोर्ट अगली समीक्षा बैठक में पेश की जाएं।

हाफिज उस्मान ने भाषा विभाग के अधिकारियों को आरटीआई-2015 की विस्तृत जानकारी देते हुए, उन्हें बताया कि तृतीय पक्ष या व्यक्तिगत की सूचना हो, उसके सम्बन्ध में आरटीआई की धारा 8 (जे) के तहत आप तृतीय पक्ष से पत्राचार कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, कि उसकी सूचना आवेदनकर्ता को दी जाये या नहीं, जैसा तृतीय पक्ष द्वारा बताया जाये वैसी रिपोर्ट आवेदनकर्ता को दी जाये। मामला आयोग में आने पर आयोग इसे संज्ञान में लेगा और नियम के तहत उसका निस्तारण करेगा। जिस सूचना का सम्बन्ध आपके विभाग से सम्बन्धित न हो, उस प्रार्थना-पत्र को शीघ्र ही अधिनियम की धारा 6 (3) के तहत 5 दिन के अन्दर सम्बन्धित विभाग को अन्तरित कर दे, और इसकी सूचना आयोग को दे, लेकिन जब सूचना उसी विभाग से सम्बन्धित हो, जिससे वादी ने आरटीआई के तहत सूचनाएं मांगी है, तो उस स्थिति में जनसूचना अधिकारी को चाहिए कि वह सूचना धारित अधिकारी/कर्मचारी को सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 5(4) के तहत पत्र लिखकर सूचित करें कि वादी की सूचनाओं का सम्बन्ध आपसे हैं, सूचनाएं उपलब्ध कराये, जिससे वादी को सूचनाएं दी जा सके। इसके बावजूद भी सम्बन्धित द्वारा प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, तो इसकी सूचना आप आयोग को दे, फिर आयोग सम्बन्धित अधिकारी को नोटिस जारी करेगा कि वादी की सूचनाएं उपलब्ध कराये, फिर भी सम्बन्धित अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, तो फिर आयोग जनसूचना अधिकारी पर कार्यवाही न करके, सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्ध सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20(1) के तहत दण्डात्मक एवं धारा 20(2) के तहत विभागीय कार्यवाही करेगा।

राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने ‘भाषा विभाग, उप्र’ के जनसूचना/अपीलीय अधिकारियों को आरटीआई के नियमों की विस्तृत जानकारी देते, उन्हें निदेर्शित किया कि वह आवेदनकर्ता को अवगत कराये कि आरटीआई के तहत आवेदक (वादी) जो सूचना चाह रहा है, वह सादे कागज पर स्पष्ट लिखित, टंकित या सूचना अधिकार अधिनियम के प्रारूप पर सूचनाएं मांगे तथा जो सूचना निर्धारित 500 शब्दों से अधिक हो वह सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की नई नियमावली-2015 (4) (1) (ग) के तहत देय न होगी, तथा आवेदनकर्ता के पत्र के साथ रुपये 10 पोस्टल आर्डर या नकद सलग्न हो तो उसे सूचना देना नियम के तहत अनिवार्य है। वादी द्वारा मांगी गयी, सूचनाओं में जितने पृष्ठों की सूचना हों उसके सम्बन्ध में वादी से लिखित रूप से 30 दिन के अन्दर शुल्क की मांग की जा सकती हैे, यदि वह निर्धारित शुल्क जमा करे तो सूचना देय है। मामला राज्य सूचना आयोग में आने पर आयोग इसे संज्ञान में लेगा और नियम के तहत उसका निस्तारण करेगा, और जरूरत पड़ने पर आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी समय-समय पर सप्ताहिक वादों की सूची (पार्ट-1 और पार्ट-2) के तहत जानकारी हासिल की जा सकती है। समीक्षा बैठक में उपस्थित अधिकारियों के कुछ नाम इस प्रकार है, आदित्य त्रिपाठी, अभिषेक कुमार अखिल, आद्यादत्त त्रिपाठी, उमपा आलोक पटेल, मो. कलीम, एसएम आदिल हसन, मो. आसिम रिजवी, जावेद आलम, एस रिजवान, रत्नदीप दीक्षित व अन्य अधिकारी/कर्मचारी भारी संख्या में उपस्थित रहे।

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