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रातभर सोने के बाद भी नींद पूरी नहीं होती, हो सकता है स्लीप सिंड्रोम

स्लीप सिंड्रोम से पीड़ित हैं 4 फीसदी लोग

सुबह उठकर आप फ्रेश फील नहीं करते? दिनभर जम्हाई लेते रहते हैं? छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है? तो आपको स्लीप सिंड्रोम, स्लीप ऐप्निया या स्लीपिंग डिसऑर्डर जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। एक रिसर्च के मुताबिक दुनियाभर के 4 फीसदी से अधिक लोग इस समय स्लीप सिंड्रोम से पीड़ित हैं। आगे की तस्वीरों में जानें कि आखिर लोगों को नींद न आने की क्या वजह हो सकती है…रातभर सोने के बाद भी नींद पूरी नहीं होती, हो सकता है स्लीप सिंड्रोम

7-8 घंटे नींद लेने वाले सिर्फ 27% लोग

नींद से जुड़ी ताजी रिसर्च के मुताबिक दुनिया में 27 फीसदी लोग सामान्य तौर पर 7 से 8 घंटे की नींद लेते हैं, वहीं 6 से 7 घंटों तक सोने वाले लोगों का प्रतिशत भी 27 ही है। नींद की समस्या इससे कम सोने वाले लोगों के साथ है। दुनिया में 32 फीसदी लोग महज 5 से 6 घंटे ही सो पाते हैं। वहीं, 14 फीसदी लोगों की हालत और भी खराब है, वो महज 4 से 5 घंटे ही सो रहे हैं।

न सोने के नुकसान हैं बहुत ज्यादा

एक सर्वे के मुताबिक, भारत में 93 फीसदी लोग नींद न आने की प्रॉब्लम से परेशान हैं और 58 फीसदी लोगों की रुटीन पर नींद पूरी न होने का सीधा इफेक्ट पड़ता है। फिजिशियन डॉ. नीलम मेहरा कहती हैं, ‘नींद दो तरह की होती है। गहरी नींद और कच्ची नींद। अगर गहरी नींद 5 घंटे की भी आ जाए तो बॉडी रिलैक्स हो जाती है, लेकिन कच्ची नींद भले ही 8 घंटे की हो, बॉडी को रिलैक्स नहीं करती।’ डॉ संजय अरोड़ा कहते हैं, ‘अवेयरनेस न होने से लोग इसे मामूली चीज समझते हैं और डॉक्टर के पास नहीं जाते। दरअसल, सही तरह से नींद न आना कई बीमारियों की वजह बन सकती है।’

बहुत कम लोग सोते हैं समय पर

सोने के समय की बात करें, दुनिया में सिर्फ 5 फीसदी लोग ही रात 9.30 बजे सो जाते हैं। वहीं 10 बजे सोने वाले लोगों का प्रतिशत 18 है। जबकि 10.30 बजे 9 फीसदी लोग बिस्तर में खुद को समेट लेते हैं। दुनिया की कुल आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा यानि 32 फीसदी लोग रात में 11 बजे नींद की आगोश में जाते हैं। नई रिपोर्ट के मुताबिक रात में 11 बजे सोने का सबसे अच्छा समय है। रात 11.30 बजे सोने वालों की संख्या 5 फीसदी है, वहीं 5 फीसदी लोग ही 12 बजे सो पाते हैं। इससे कहीं ज्यादा 18 फीसदी लोग रात में 1 बजे सोते हैं। जबकि सारी रात जागकर 5 फीसदी लोग रात में 3 बजे के आसपास नींद की आगोश में जाते हैं।

बेहतर याददाश्त के लिए सोना जरूरी

अगर आप भी अपनी याददाश्त को तेज बनाना चाहते हैं तो फिर सारी चिंताओं को छोड़ कर अच्छी और भरपूर नींद लें। अच्छी नींद आपकी मेमरी क्षमता को मजबूत बनाने में सहायक होती है, इसकी पुष्टि एक नए स्टडी से भी हुई है। स्टडी के नतीजे बताते हैं कि पूरे दिन व्यक्ति की मानसिक गतिविधियां रात को नींद में ब्रेन द्वारा तेजी से दोहराई जाती हैं, जिससे तंत्रिका सेल के बीच सक्रिय माइक्रोस्कोपिक कनेक्शन को मजबूती मिलती है। नींद के दौरान दोहराई जाने वाली गतिविधियां ब्रेन के हिप्पोकैम्पस हिस्से में होती हैं, जो यादों को सहेजने वाली केंद्रीय प्रणाली है।

‘पावर नैप’ की ताकत

अक्सर जब हम घर या ऑफिस में कुछ काम कर रहे होते हैं तो कभी-कभी हमें झपकी आने लगती है। अगर आपको भी झपकी आए तो उसे रोकें नहीं बल्कि आने दें, क्योंकि झपकी आना एक तरह से पावर नैप है जो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। मिशिगन यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए शोध में भी यह बात सामने आई है कि ऑफिस में काम के दौरान झपकी लेने वाले कर्मचारी अधिक काम करते हैं। झपकी लेने के बाद जब आप अच्छा महसूस करते हैं तो आपके अंदर सतर्कता बढ़ जाती है। झपकी लेने से काम करने की सारी चीजें आपको याद रहती हैं। आपके अंदर की एनर्जी सेव होती है। सबसे बड़ी बात यह है कि झपकी लेने से आप काफी रिलैक्स महसूस करते हैं और तनाव से मुक्ति मिलती है।

कम नींद लेने से बढ़ता है वजन

कई शोध बताते हैं कि एक रात न सोने पर एक स्वस्थ इंसान के शरीर में ऊर्जा की खपत में 5 से 20 फीसदी तक की कमी आ जाती है। कई दूसरे अध्ययनों में देखा गया है कि पांच घंटे तक या उससे कम सोने वालों में वजन बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। ठीक से नींद न आने पर अगली सुबह ब्लड शुगर, भूख नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन और तनाव बढ़ाने वाले हॉर्मोन कोर्टिजोल की मात्रा बढ़ जाती है।

नींद के लिए गोलियां लेना है खतरनाक

लंबे समय तक नींद की गोलियों का इस्तेमाल जानलेवा साबित हो सकता है। इन दवाओं के अधिक इस्तेमाल से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

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