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राष्ट्रीय लोकदल की इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुए माया और अखिलेश

लखनऊ : सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने जब हाल ही में नूरपुर और कैराना उपचुनाव के दौरान प्रचार करने से परहेज किया, तो इसके कई सियासी मायने निकाले गए। मायावती ने भी चुप्पी साधते हुए आरएलडी को खुलकर समर्थन का ऐलान नहीं किया। अब लखनऊ में राष्ट्रीय लोक दल की तरफ से आयोजित इफ्तार पार्टी में दोनों नेताओं की गैरमौजूदगी से कई कयास लगाए जा रहे हैं। उपचुनाव में जब प्रचार से अखिलेश ने दूरी बनाई थी, तो इसे ध्रुवीकरण को रोकने की कोशिश के तौर पर देखा गया था। वहीं, मायावती ने गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के उलट रुख अपनाया था। अखिलेश ने तो एसपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को अपना प्रतिनिधि बना कर पार्टी में भेज दिया लेकिन मायावती की तरफ से कोई नुमाइंदा इस इफ्तार पार्टी में नहीं पहुंचा। यह इसलिए भी अहम है, क्योंकि आरएलडी ने दोनों पार्टियों को इफ्तार का औपचारिक न्योता भी भेजा था। आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने एसपी चीफ अखिलेश यादव, बीएसपी अध्यक्ष मायावती और यूपी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर को इस इफ्तार पार्टी का न्योता भेजा था। उपचुनावों में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की जीत के बाद इन दिनों यूपी में महागठबंधन की चर्चा जोर पकड़ रही है। ऐसे में मायावती का इस पार्टी से परहेज करना दिलचस्प है। यूपी कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राज बब्बर भी इस पार्टी से नदारद दिखे। हालांकि, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सिराज मेंहदी इफ्तार पार्टी में जरूर नजर आए। लखनऊ में आरएलडी की तरफ से इफ्तार पार्टी का आयोजन ऐसे वक्त में हुआ है, जब कांग्रेस और बीएसपी की मदद से आरएलडी-एसपी के संयुक्त उम्मीदवारों ने कैराना और नूरपुर उपचुनाव में बीजेपी को एक हफ्ते पहले ही शिकस्त दी है। ऐसे में एसपी और बीएसपी के वरिष्ठ नेताओं के इफ्तार पार्टी से दूरी बनाने के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी के साथ आने की स्थिति में आरएलडी भी अपने लिए वेस्ट यूपी में पर्याप्त सीटों की मांग कर सकती है। जयंत चौधरी ने हालांकि जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में अखिलेश यादव से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस दौरान दोनों नेताओं के बीच क्षेत्रीय पार्टियों के संभावित महागठबंधन और इसके राजनीतिक प्रभाव पर मंथन हुआ। जयंत ने अखिलेश से मुलाकात की तस्वीर पोस्ट करते हुए ट्वीट में कहा, ‘उपचुनाव में विजयी गठबंधन के सारथी के साथ मीठे पल बिताए। अखिलेश यादवजी को धन्यवाद। आपने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और जीत के लड्डू खिलाए। आरएलडी के पार्टी कार्यालय पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता इफ्तार में शरीक हुए। आरएलडी के लिए यह इफ्तार पार्टी इसलिए भी खास थी, क्योंकि हाल ही में कैराना से उपचुनाव जीत कर सांसद बनीं तबस्सुम हसन के स्वागत का यह एक मौका बन गया। तबस्सुम ने बीजेपी की मृगांका सिंह को 44 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी। इस दौरान जयंत चौधरी ने कहा, ‘सेक्युलर और समान विचारधारा वाली पार्टियों ने सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए साथ आने का फैसला किया है।’ साथ ही जयंत ने कहा कि विपक्ष की एकता 2019 के लोकसभा चुनाव में जारी रहेगी। बीएसपी की इफ्तार पार्टी में गैरहाजिरी को लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव बनाने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। जहां एक ओर बीएसपी की तरफ से संकेत मिले हैं कि वह कम से कम 40 सीटें अपने हिस्से में चाहेगी, वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव कह चुके हैं कि समाजवादियों का दिल बड़ा होता है।

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