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राहुल गांधी का वार- तिरंगे को सलामी देना संघ ने सत्ता में आने के बाद सीखा

पूर्व जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज होने के बाद गुरुवार को नई दिल्ली में विपक्षी नेताओं का सम्मेलन बुलाया. इस सम्मेलन को साझी विरासत बचाओ का नाम दिया गया. सम्मेलन में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, सीताराम येचुरी, गुलाम नबी आजाद, फारुक अब्दुल्ला समेत विपक्ष के कई नेता शामिल हुए.राहुल गांधी का वार- तिरंगे को सलामी देना संघ ने सत्ता में आने के बाद सीखासम्मेलन की शुरुआत में शरद यादव ने कहा कि देशभर में किसानों और दलितों के साथ अत्याचार हो रहा है, देश भर में बेचैनी है. शरद यादव ने कहा कि मैंने किसी को नहीं बुलाया है फिर भी हजारों लोग मेरे साथ जुड़ रहे हैं.

राहुल ने किया मोदी पर सीधा वार

कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि उनके सबसे बड़े नेता ब्रिटिश सरकार के सामने लड़ाई नहीं कर पाए थे. उनके एक नेता ने ब्रिटिश सरकार को चिट्ठी लिखकर जेल से फ्री करने की बात कही थी. राहुल गांधी ने कहा कि सरकार आने से पहले गया था कि 2 करोड़ लोगों को रोजगार देंगे, 15 लाख देने का वादा किया था लेकिन उन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया.

राहुल ने संघ पर वार करते हुए कहा कि इन लोगों ने तिरंगे को सलाम करना भी सत्ता में आने के बाद सीखा है. राहुल ने कहा कि संघ के लोग जानते हैं कि ये चुनाव नहीं जीत सकते हैं इसलिए हर जगह अपने लोगों को डाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम लोगों को इनके खिलाफ एक साथ होकर लड़ना है. पिछले 2 साल में 1 लाख 30 करोड़ रुपए 10-15 करोड़पतियों का माफ कर दिया है. तमिलनाडु के किसान जंतर-मंतर पर नंगे होकर प्रदर्शन कर रहे हैं, किसान पूरे देश में मर रहे हैं.

राहुल ने वार करते हुए कहा कि मोदी जी ने पूरे देश को 15-20 कारोबियों के हाथ में दिया हुआ है. ये लोग ही पूरा देश चला रहे हैं, ये लोग मोदी जी की मार्केटिंग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमेशा सच की ही जीत होती है, चाहे फिर मोदी हो या कोई और हो. राहुल ने कहा कि मोदी जी का मेक इन इंडिया फेल हो गया है, संसद में मंत्री ने बताया कि सिर्फ 1 लाख लोगों को रोजगार दिलाया. लेकिन वादा तो 2 करोड़ किया.

राहुल ने सीधा वार करते हुए कहा कि मोदी जी मेक इन इंडिया की बात करते हैं लेकिन हर जगह मेक इन चाइन ही दिखता है. राहुल बोले कि जब गुजरात में इन्होंने मेरे ऊपर पत्थर फेंके तो मैंने उनसे बात करनी चाही. लेकिन जब मैं रुका तब पत्थर फेंकने वाले लोग भाग गए. 

कार्यक्रम में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि शरद यादव के नेतृत्व वाली जेडीयू ही असली जेडीयू है, नीतीश वाली JDU बीजेपी की जेडीयू है. नीतीश का दावा सही नहीं है. आजाद ने कहा कि आज अंग्रेज नहीं हैं, लेकिन उनके समर्थक हैं जो भारत छोड़ो आंदोलन के समय में शामिल नहीं हुए थे. आजाद ने कहा कि ये जो समय चल रहा है वो इमरजेंसी का बाप है. लोग सड़क पर भी बात करने से डर रहे हैं. इन्होंने टॉयलेट में भी जासूसी के लिए माइक्रोफोन लगाया हुआ है. उन्होंने कहा कि शरद यादव को बधाई की उन्होंने मंत्री बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया. 

फारुक अब्दुल्ला का हमला

नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि पहले हमारी जंग अंग्रेजो से थी, लेकिन अब अपनो से है. उन्होंने कहा कि मैं फक्र से कहता हूं कि मैं मुसलमान हूं, मैं एक हिंदुस्तानी मुसलमान हूं. उन्होंने कहा कि ये लोग जोड़ने की बात करते हैं लेकिन तोड़ने का काम कर रहे हैं. एक पाकिस्तान बना दिया पर अब कितने पाकिस्तान बनाओगे. उन्होंने कहा कि हम पर आरोप लगाते हैं कि हम वफादार नहीं हैं, पर सच ये है कि तुम लोग दिलदार नहीं हो. हम 1947 में आसानी से पाकिस्तान जा सकते थे, लेकिन नहीं गए. मैं उस घाटी से आया हूं जहां पर लोगों को पाकिस्तानी कहा जाता है. हम पाकिस्तानी या अंग्रेजी मुसलमान नहीं हैं हम एक हिंदुस्तानी मुसलमान हैं.

गौरतलब है कि शरद ने नीतीश के खिलाफ नारा बुंलद कर ये संदेश दे दिया है. दोनों के बीच करीब बीस साल पुरानी दोस्ती पर पूर्णविराम लग गया है. यही वजह है कि जेडयू ने शरद को राज्यसभा में अपने संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया गया है.

इसके अलावा उनके साथ नीतीश के खिलाफ बगावत करने वाले राज्यसभा के सांसद अली अनवर के खिलाफ भी कार्रवाई की गई. बिहार में शरद यादव के करीबी 21 नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया क्योंकि ये लोग शरद यादव की यात्रा में शामिल हुए थे. पार्टी से निकाले गए नेताओं में पूर्व मंत्री और दलित नेता रमई राम भी शामिल थे जिन्हें शरद यादव कैंप का माना जाता है.

ऐसे में शरद यादव को अपने साथ-साथ अपने करीबी नेताओं सियासी भविष्य के लिए राह तलाश करनी है. ऐसे में उन्होंने विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई, जिसमें देश की 17 पार्टियों के नेता शामिल होंगे. इसमें कांग्रेस से राहुल गांधी और मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, सीपीएम से सीताराम येचुरी, एनसीपी से तारिक अनवर को निमंत्रण भेजा गया था.

साझा विरासत बचाओ सम्मेलन के लिए शरद यादव पूरी जी जान से जुटे हुए हैं ताकि वह विपक्ष को एकजुट करने वाले नेता के तौर पर अपनी पहचान बना सकें. इसके लिए बी आर अंबेडकर के परपोते प्रकाश अंबेडकर को भी बुलाया गया है और महाराष्ट्र के किसान नेता राजू शेट्टी को भी जिनकी संस्था स्वाभिमानी शेतकारी संगठन एनडीए के साथ थी, लेकिन आजकल उनके एनडीए से संबंध ठीक  नहीं चल रहे हैं.

शरद से बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार पूछे जाने के बावजूद नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला और सिर्फ इतना कहा कि उनका यह सम्मेलन किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि देश की साझी विरासत बचाने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि किसानों की आत्महत्या रोहित वेमुला जैसे कांड और उना में दलितों पर हमला जैसी घटनाओं ने उन्हें इस सम्मेलन को बुलाने के लिए प्रेरित किया.

जबकि वहीं बुधवार को जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने शरद यादव किस कांफ्रेंस के बारे में कहा की शरद यादव अगर देश की साझी विरासत बचाने के लिए लोगों को लामबंद करते हैं तो उन्हें  इससे कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन अगर शरद यादव 27 अगस्त को पटना में होने वाले लालू यादव की रैली में हिस्सा लेते हैं तो जेडीयू में उनके लिए कोई जगह नहीं रह जाएगी. खास बात यह है कि जेडीयू भी 19 तारीख को पटना में पार्टी की बैठक करने जा रहा है जिसमें औपचारिक रुप से जेडीयू के एनडीए में शामिल होने का ऐलान कर दिया जाएगा.

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