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वकीलों के खिलाफ प्रदर्शन का मामला पहुंचा HC, 12 फरवरी को होगी सुनवाई

पुलिस मुख्यालय के बाहर वकीलों के खिलाफ पुलिस कर्मियों के प्रदर्शन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है। 12 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई होगी। जनहित याचिका दायर कर प्रदर्शन करने वाले पुलिस कर्मियों एवं अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। प्रदर्शन के समर्थन में सोशल मीडिया पर ट्वीट व पोस्ट करने वाले आइपीएस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई है। याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता राकेश कुमार लाकरा ने केंद्र सरकार, पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक, आइजी अरुणाचल प्रदेश मधुर वर्मा, डीसीपी असलम खान, एनआइए एसपी संजुक्ता पराशर और आइपीएस अधिकारी मेघना यादव को पक्षकार बनाया है। याचिका में कहा गया है कि धरना देने और सोशल मीडिया व समाचार चैनलों पर भड़काऊ भाषण देने पर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार को विभागीय जांच का निर्देश दिया जाए। पुलिस अधिकारी ड्यूटी एक्ट के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन कर रहे थे। यह पुलिस आयुक्त के स्तर पर नाकामी है। मामला हाई कोर्ट में लंबित होने के बावजूद सोशल मीडिया पर भड़काऊ ट्वीट करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन अधिकारियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि दो नवंबर को तीस हजारी की घटना के बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा और तीन नवंबर को हाई कोर्ट ने न्यायिक जांच का आदेश दिया था।

मीडिया कवरेज पर रोक की मांग

तीस हजारी घटना की मीडिया कवरेज को नियंत्रित करने की मांग करते हुए जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई। याचिकाकर्ता व वकील पवन प्रकाश पाठक व प्रकाश शर्मा ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट से अधिवक्ता संघ की खराब छवि बनी है। याचिका अव्यवहारिक पत्रकारिता के खिलाफ है।

केस दर्ज करने की मांग

तीस हजारी अदालत की घटना के खिलाफ दिल्ली पुलिस के पुराने मुख्यालय पर प्रदर्शन में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता जीएस मणि ने याचिका में कहा है कि पुलिसकर्मियों का प्रदर्शन गैरकानूनी था।

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