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वायुसेना का बड़ा ‘युद्धाभ्‍यास’, लड़ाकू विमानों समेत पांच हज़ार उड़ानें

नई दिल्ली : भारत हवा में अपनी सैन्य क्षमता को लगातार मजबूत कर रहा है। देश की सैन्य शक्ति का अंदाजा इस बात से लगाया जा स​कता है कि वायुसेना के विमानों ने पाकिस्‍तान से लेकर चीन सीमा तक तीन दिनों में करीब 5 हज़ार उड़ानें भरी। यह भारतीय सेना का अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्‍यास माना जा रहा है, जिसे ‘गगन शक्ति 2018’ नाम दिया गया। सेना इसके जरिये अपनी युद्ध की क्षमताओं और तैयारियों को परख रही है। इस युद्धाभ्यास के लिए सेना के 300 अधिकारी और करीब 15 हज़ार वायु सैनिक सीमा पर मौजूद हैं। युद्धाभ्यास में करीब 1100 विमानों-हेलीकॉप्टरों ने हिस्सा लिया है। इनमें तेजस, सुखोई 30, मिग, जगुआर, मिराज-सब भी शामिल है। इस अभ्यास का उद्देश्य पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा पर अपनी ताकत दिखाना है।
अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान और चीन सीमा पर संभावित खतरे से निपटने के लिए कम से कम 42 फाइटर स्क्वाड्रोन्स की जरूरत है लेकिन अभी खेमे में केवल 31 होने के बाद भी वायु सेना इस एक्सरसाइज की मदद से खुद को तैयार कर रही है। बता दें कि जैसलमेर में वायुसेना के विमानों ने विभिन्न ठिकानों को निशाना बनाकर युद्धाभ्यास किया। ‘गगन शक्ति 2018’ युद्धाभ्यास में पहली बार महिला फाईटर पायलट हिस्सा ले रही हैं। इस दौरान स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की पूरी स्कवाड्रन ताकत दिखा रही है।
वायुसेना ने एक बयान में कहा कि युद्ध जैसे कोई हालात नहीं हैं लेकिन वह अपनी आसमानी ताकत को सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। यही वजह है कि पश्चिमी सीमा पर दमखम दिखाने के बाद अब वायुसेना के फाइटर जेट्स को पूर्वी सीमाओं पर भेजना शुरू कर दिया है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया अभ्यास में सुखोई 30 लड़ाकू विमानों के एक बेड़े ने पूर्वी तट के एक वायुसेना अड्डे से उड़ान भरी और 2,500 किमी की दूरी तय कर पश्चिमी तट पर कई लक्ष्यों को भेदा। बाद में यह दक्षिण वायुसेना अड्डे पर उतरा। इस तरह कुल 4,000 किमी की दूरी एक मिशन में तय की। वायुसेना ने बताया कि आईएल- 78 फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट की सहायता से यह संभव हो पाया। उन्होंने बताया कि यह 1986-1987 के ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स या 2001-2002 में ऑपरेशन पराक्रम के बाद हुआ सबसे बड़ा अभ्यास है, जब भारत लगभग संसद पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध करने के लिए तैयार हो गया था।

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