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विवादों में बिहार का एक और आश्रय गृह, जानिए मनीषा दयाल रातों रात कैसे बनी स्टार

कभी सियासी भूचाल तो कभी आश्रयगृहों में रह रहीं बच्चियों के साथ ज्यादतियों को लेकर इनदिनों बिहार सुर्खियों में हैं। ताजा मामला  पटना आसरा गृह में दो लड़कियों की मौत का है। लड़कियों की मौत के बाद संस्था के संचालक चिन्तन और संचालिका मनीषा दयाल को गिरफ्तार तो कर लिया गया है। लेकिन महज कुछ सालों में मनीषा कैसे बुलंदियों तक पहुंची उनका यह सफर भी काफी रोचक रहा है। फिलहाल, मनीषा दयाल की बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक (जेडयू), पूर्व मंत्री शिवचन्द्र राम (आरजेडी ) और आजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी के साथ तस्वीर वायरल हो रही है। विवादों में बिहार का एक और आश्रय गृह, जानिए मनीषा दयाल रातों रात कैसे बनी स्टार

मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड में बचे भूचाल के बाद बच्चियों की आश्रय गृह में मौत ने एकबार फिर इन अनाथ आश्रमों में रहने वाली बच्चियों की स्थिति को लेकर संदेह की सूई घूम रही है। माना ये भी जा रहा है कि मनीषा की राजनीतिक पैठ गहरी थी। जबकि आरजेडी प्रवक्ता भाई वीरेंद्र और कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने बयान दिया है कि नेताओं के साथ कोई भी तस्वीर ले सकता है। 

साथ ही उन्होंने कहा है कि यह कोई मामला नहीं है बल्कि जिस तरह से पटना आश्रय होम का मामला सामने आया है और मुजफ्फरपुर की घटना के बाद जो भी बालिका गृह संदेह के दायरे में है उनकी जांच पूरी तरह कराई जानी चाहिए। साथ ही सीबीआई अपना दायरा बढ़ाए और राज्य के सभी बालिका गृह का सीबीआई जांच करानी चाहिए। 
वहीं श्याम रजक ने इस मामले में कहा है कि मैं राज्य और राजधानी के सभी कार्यक्रमों में जाता हूं, किस प्रोग्राम में कौन फोटो किसके साथ खींच रहा है उससे हमको कोई मतलब नहीं रहता है। 
पहले ही हो चुकी थी मौत

आसरा गृह की दो लड़कियों की मौत के मामले में कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इस मामले में पीएमसीएच के डॉक्टर का कहना है कि लड़कियों की पीएससीएच लाए जाने से पहले ही मौत हो चुकी थी।  वहीं, सवाल ये भी उठ रहा है कि पोस्टमार्टम के बाद शव का डिस्पोजल क्यों नहीं किया गया? इसमें कौन-कौन से लोग शामिल हैं और 10 अगस्त से जांच चलने के बावजूद किसी के बीमार होने की बात सामने क्यों नहीं आई? 
 
राजीवनगर थाना अंतर्गत नेपाली नगर में संचालित एक आसरा गृह में एक लड़की सहित दो महिलाओं की संदिग्ध मौत होने का मामला प्रकाश में आने पर समाज कल्याण विभाग और जिला प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है।

जानी मानी समाज सेविका मनीषा की पूरी कहानी

मनीषा दयाल सिर्फ पटना आसरा गृह नहीं बल्कि कई और भी एनजीओ चलाती हैं।

1. आसरा होम्स को चला रही हैं और अनुमाया हयूमेन रिसोर्सेज फाउंडेशन की निदेशक हैं।
2. मनीषा दयाल एनजीओ आत्मा फाउंडेशन की बोर्ड में सदस्य हैं,
3. भामा शाह फाउंडेशन ट्रस्ट एनजीओ की कमिटी में है
4.  स्पर्श डी एडीक्शन एंड रिसर्च सोसायटी में काउंसलर हैं
5. इससे पहले मनीषा दयाल नव असत्तिव फाउंडेशन की प्रोजेक्ट मैनेजर रह चुकी हैं 

मनीषा पटना की जानी मानी समाज सेविका रही हैं और अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन ( एएचआरएफ) की सचिव मनीषा दयाल को  बिहार की आयरन लेडी और युवाओं की प्रेरणाश्रोत माना जाता रहा है। मनीषा अपने बारे में कहती रही हैं कि मौके मिलते नहीं, बनाये जाते हैं । यही नहीं उनका मानना रहा है कि कामयाबी हम तक नहीं आती, हमें कामयाबी तक जाना होता है।

मनीषा दयाल अपनी सफलता का विजयी मंत्र अपने पिता विजय दयाल को मानती है जिन्होंने उन्हें हर कदम सपोर्ट किया। मनीषा दयाल के नजर में उनके पिता विजय दयाल ही उनके सुपरहीरो हैं।मनीषा पापा की दुलारी रही हैं और वह कहती रही है कि दुनियां में बहुत सी ऐसी बातें होती हैं जो नामुमकिन नजर आती हैं लेकिन अगर इंसान हिम्मत से काम करे और वो सच्चा है तो जीत उसी की होती है। 
इवेंट और आयोजनों से चमकाया नाम
मनीषा दयाल ने, चिरंतन कुमार के साथ मिलकर बिहार की पावन धरती पर सीसीएल 2 का आयोजन किया जो अबतक तक बिहार का सबसे बड़ा इवेंट माना गया। सीसीएल 02 की अभूतपूर्व सफलता के बाद मनीषा दयाल ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा उसके बाद उन्होंने सॉकर प्रीमियर लीग का अयोजन करने जा रहे हैं। सॉकर प्रीमियर लीग का आयोजन अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन (एचआरएफ) और वाइल्ड आर्मी इंटरटेनमेंट के सौजन्य से किया। इस अभियान के तहत से नो टू ड्रग और से नो टू डाइरी अभियान भी चलाया।
कैसा रहा शुरुआती जीवन
 बिहार के गया शहर की रहने वाली मनीषा दयाल ने गया शहर से इंटरमीडियट की पढ़ाई की और उसके बाद वर्ष 1995 में राजधानी पटना आ गयी। मनीषा  डॉक्टर बनना चाहती थी इसीलिए उन्होंने मेडिकल में दाखिला ले लिया। लेकिन वह किन्ही वजहों से मेडिकल की पढ़ाई नही पूरी कर सकीं। वर्ष 1996 में बिजनेस मैन जीवन वर्मा से मनीषा दयाल की शादी हो गयी।

कुछ दिनों तक वह परिवार में रमी रहीं उसके बाद  वह समाज सेवा से जुड़ीं। उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की और वर्ष 1996 में बीकॉम में दाखिला ले लिया और इसकी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एमबीए फाइनांस की शिक्षा भी हासिल की। मनीषा अपने पति के कदम से कदम मिलाकर चलने लगी और वर्ष 1997 में गारमेंट फैक्ट्री की नींव रखी। मनीषा कंपनी में फायनांस और मार्केटिंग काम देखने लगी। फैक्ट्री से बने कपड़े बिहार के साथ ही झारखंड और पश्चिम बंगाल में निर्यात किये जाते हैं। 

 वर्ष 2009 में मनीषा दयाल दिल्ली स्थित स्पर्श फाउंडेशन से जुड़ीं और नशा मुक्ति की दिशा में काम करने लगीं।  वर्ष 2011 मनीषा दयाल के पिता की अकस्मात मौत के बाद वह करीब एक साल तक डिप्रेशन में रही। 2012 में मनीषा रेडक्रास और यूनिसेफ जैसी संस्थाओं से जुड़ी और महिला सशक्तीकरण और बच्चों की शिक्षा की दिशा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगी। 

  वर्ष 2016 में मनीषा दयाल महिला सशक्तीकरण , वृद्ध आश्रम , बच्चों की शिक्षा , झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली महिला-बच्चों की मुफ्त चिकित्सा समेत कई सामाजिक काम करने वाली अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन (एचआरएफ)  से जुड़ गयी और सचिव के तौर पर काम करने लगी। 

मनीषा दयाल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी काम करना चाहती थी और इसी को देखते हुये उन्होंने वर्ष 2016 में कॉरपोरेट क्रिकेट लीग का आयोजन किया जिसे अभूतपूर्व सफलता मिली। पिता की याद में वह अपने पिता के पेट्रोलंपप से  21 लड़कियों की पढाई की पूरी व्यवस्था की जाती है। यही नहीं  हर साल कैंसर के दो मरीजों की चिकित्सा की पूरी जिम्मेवारी उनकी संस्था (एचआरएफ) की ओर से की जाती है। 

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