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विवेक तिवारी मर्डरकांड: पुलिस की मनगढ़ंत कहानी पर उठते सवाल, बिलकुल ही अलग है महिला सहकर्मी की कहानी

लखनऊ। विवेक तिवारी मर्डरकांड में 24 घंटे बीत जाने के बाद भी कई सवाल उलझे है। पुलिस के लगातार बचाव करने पर भी पुलिसिया कहानी गले से नीचे नहीं उतर रही है। हादसे के बाद महिला सहयोगी सुरक्षित थी। यह सवाल खुद ब खुद खड़ा हो रहा है कि आखिर किस तरह इतनी दूरी विवेक ने तय की। महिला सहयोगी सना के मुताबिक उसने गोली की आवाज तो सुनी पर उसे नहीं लगा कि एरिया सेल्स मैनेजर विवेक को ही गोली लगी है। एसयूवी 25 से 30 मीटर दूरी जाने के बाद विवेक बेहोश होकर सीट पर लुढ़क गया। इसके बाद गाड़ी अनियंत्रित होकर शहीद पथ के अंडर पास की दीवार से टकरा गई। टकराते ही उसने देखा कि विवेक के सिर से खून निकल रहा था। सना एसयूवी से नीचे उतरी और आने-जाने वालों से मदद की गुहार लगा रही थी। इसी बीच वहां पुलिसकर्मी पहुंच गये। उन्होंने विवेक को लोहिया अस्पताल पहुंचाया। जहां उसकी मौत हो गई। राजधानी पुलिस ने एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर की हत्या को सेल्फ डिफेंस साबित करने में जुटी रही। इसके बाद पुलिस ने जो कहानी बताई व एक दम फर्जी लग रही है। पुलिस के मुताबिक विवेक को रात में गश्त कर रहे बाइक सवार सिपाहियों प्रशांत कुमार व संदीप कुमार ने रोका। वह रूकने के बजाए उनसे भागने लगा। इस दौरान विवेक ने खुद को बचाने केलिए एसयूवी की रफ्तार तेज कर दी। सिपाहियों को रौंद दिया। पुलिस के मुताबिक विवेक ने एसयूवी से सिपाहियों को एक बार नहीं तीन बार रौंदने का प्रयास किया। इसके बाद सिपाहियों ने खुद की सुरक्षा के लिए विवेक को गोली मार दी। एरिया सेल्स मैनेजर को गोली मारने वाले सिपाहियों के मुताबिक मकदूमपुर पुलिस चौकी के पास एसयूवी सवार विवेक ने उनको रौंद दिया। सिपाही प्रशांत के मुताबिक विवेक की कार बाइक में फंस गई। उसने बैक कर भागने का प्रयास किया। जब वह उठ रहा था तो विवेक ने उसे दो बार और रौंदने का प्रयास किया। जब उसे अपनी जान को खतरा लगा तो सर्विस पिस्तौल निकालकर गोली मार दी। अहम सवाल है कि तीन बार सिपाहियों को मृतक विवेक ने रौंदा था। लेकिन दोनों सिपाहियों को खरोंच तक नहीं आई थी। वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों थाने पहुंचे। वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों को वीरता की दास्तान बताई। इस दौरान वो थाने पर ही मौजूद रहे। विवेक को डेढ़ बजे के बीच गोली मारने के बाद राजधानी पुलिस सिपाहियों को बचाने की जुगत में लग गई। विवेक को इस घटना का दोषी बनाने के लिए कहानी गढ़ी। इसके करीब आठ घंटे बाद सुबह नौ बजे पुलिस को याद कि उसके सिपाहियों को विवेक ने एसयूवी से रौंदा था। वह गंभीर रूप से घायल हो गये हैं। अधिकारियों के निर्देश पर दोनों को पुलिस लोहिया अस्पताल लेकर गई। जहां सरकारी जीप से नीचे उतारने के लिए दो-दो सिपाही लगाये गये। जो उनको गोद में उठाकर इमरजेंसी में पहुंचाया। इसके बाद पुलिस ने घेराबंदी कर ली। दोनों सिपाही कुछ देर तक तो मुंह छिपाते रहे। इसके बाद एक रटा-रटाया बयान देना शुरू कर दिया।


उनके साथ मौजूद महिला सहकर्मी ने बताई पूरी कहानी
उनके साथ मौजूद चश्मदीद महिला सहकर्मी सना खान जो बातें बताई है वो पुलिसिया कहानी से बिलकुल अलग है। सना ने कई बातों का खुलासा किया वो भी बिना किसी के दबाव में। सना ने आरोपी कॉन्स्टेबल की मनगढ़ंत कहानी सिरे से नकार दी है। ”जिसमें आरोपी ने बताया था कार चल रही थी। हो सकता है कि उनके (विवेक तिवारी) साथ कार में लड़की बैठी हुई थी और कार गोमती नगर इलाके से गुजर रही थी, इसीलिए वो पुलिस वाला रॉन्ग साइड से आया और सामने से आकर हम पर चिल्लाने लगा। इसके अलावा और कोई वजह नहीं थी।’ सना ने बताया कि वह अपने सीनियर विवेक तिवारी के साथ आईफोन के लॉन्चिंग ईवेंट से लौट रही थी। लॉन्चिंग ईवेंट देर रात खत्म हुआ था, इसी वजह से विवेक तिवारी उन्‍हें घर तक छोड़ने जा रहे थे। रात में हम घर जा रहे थे। इसी बीच सामने से बाइक पर सवार दो पुलिस वाले आ गए। दोनों पुलिस वाले उनकी गाड़ी को जबरदस्ती रोकने लगे। सर (विवेक तिवारी) ने गाड़ी नहीं रोकी। उन्‍होंने सोचा कि पता नहीं कौन हैं जो इतनी रात को गाड़ी रुकवा रहे हैं। इसीलिए उन्होंने कार नहीं रोकी। इसके बाद पुलिसवालों ने सामने से अपनी बाइक लगा दी और रोकने लगे। इसी बीच दोनों पुलिसवाले बाइक से उतर गए। सर (विवेक तिवारी) ने डर की वजह से गाड़ी नहीं रोकी। वह पुलिस वालों की बाइक के साइड से अपनी गाड़ी निकालने लगे। इस बीच उनकी गाड़ी पुलिसवालों की बाइक से थोड़ी सी टच हो गई। पीछे बैठे सिपाही के पास लाठी थी और आगे बैठे सिपाही के पास पिस्टल थी। पीछे वाला सिपाही गाड़ी में डंडा मारने लगा, तब तक सामने खड़े सिपाही ने सीधे सर को गोली मार दी।” सना ने बताया, ‘गोली लगने के बाद भी विवेक सर गाड़ी चलाते रहे…थोड़ा आगे जाकर जब वह नहीं चला पाए तो गाड़ी एक पिलर से टकरा गई। इसके बाद दोनों पुलिस वाले वहां से चले गए। कल मैं फोन ले जाना भूल गई थी और मैंने कई लोगों से मदद मांगी कि वे अपना फोन दे दें। मैं सड़क पर चिल्‍ला रही थी लेकिन किसी ने मदद नहीं की। इसके थोड़ी देर बाद पुलिस आ गई।’
पुलिसिया मनगढ़ंत कहानी व कई अनसुलझे सवाल
जिस जगह बाइक सवार सिपाहियों को रौंदने की बात कही जा रही है। वहां से विवेक की कार करीब चार सौ मीटर दूर दुघर्टनाग्रस्त हुई। हादसे के बाद दोनों सिपाही एसयूवी के पीछे चार सौ मीटर तक गये और सामने से गोली मार दी? गोमतीनगर विस्तार स्थित मकदूमपुर पुलिस चौकी से चंद कदम दूरी पर एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की कार खड़ी थी। कार में विवेक के साथ उसकी महिला सहकर्मी सना भी थी। देर रात गोमतीनगर थाने में तैनात सिपाही प्रशांत कुमार चौधरी और संदीप कुमार वहां पहुंचे। उन्होंने एसयूवी के पास बाइक रोकी और पूछताछ करने का प्रयास किया। इसी बीच विवेक अपनी एसयूवी लेकर भागने लगा। वह खुद को बचाने के लिए इतनी तेजी से आगे बढ़ा तो बाइक सवार पुलिसकर्मियों को रौंद दिया। हादसे में गंभीर रूप से घायल पुलिसकर्मियों ने एसयूवी सवार विवेक तिवारी का पीछा करना शुरू किया। करीब चार सौ मीटर दूरी तक पीछा करने के बाद पुलिसकर्मियों ने विवेक को गोली मार दी।
– मकदूमपुर पुलिस चौकी के सामने एसयूवी ने बाइक सवार पुलिसकर्मियों को रौंदा। पुलिस के मुताबिक यहीं पर सेल्फ डिफेंस में गोली मार दी। गोली लगने के बाद विवेक तिवारी अपनी एसयूवी लेकर चार सौ मीटर तक का सफर तय किया। वह भी दो खतरनाक मोड़ को आसानी से पार करते हुए?
इसके बाद एसयूवी अनियंत्रित होकर अंडर पास के दीवार से जा टकराई। हादसे में विवेक तिवारी के सिर से खून निकलने लगा। इसके बाद वह बेहोश हो गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने बेहोश विवेक को लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसकी मौत हो गई। उसके शरीर पर सिर्फ एक गोली लगने की चोट छोड़कर एक भी खरोच नहीं थी।

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