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विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस : जोर से छींकने भर से ही टूट जाती हैं हड्डियां

नई दिल्ली : ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो ज़्यादातर उन लोगों को होती है जिनकी उम्र 50 साल से अधिक होती है। इस बीमारी में हड्डियों का वजन बहुत कम हो जाता है और ये मजबूत भी नहीं रह जाती हैं। हड्डियां इतनी कमज़ोर हो जाती हैं कि मरीज के ज़ोर से छींकने भर से टूट सकती हैं। पूरी दुनिया में 20 अक्टूबर के दिन विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है। हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं। बढ़ती उम्र के साथ खान-पान पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी हो जाता है नहीं तो हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। इसके अलावा भी ऑस्टियोपोरोसिस होने के कई कारण हैं।
कारण-
– बढ़ती उम्र के साथ खानपान और लाइफस्टाइल पर ध्यान ना देना।
– ऑस्टियोपोरोसिस कई बार अनुवांशिक भी होता है. मतलब कि जिनके माता-पिता को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है उनकी संतानों को भी इसका खतरा रहता है।
– जो लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं उन्हें भी ऑस्टियोपोरोसिस का समस्या हो जाती है।
– शरीर में हड्डी के लिए जरूरी पोषक तत्वों कैल्शियम, विटामिन D, प्रोटीन की कमी की वजह से भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो जाती है।
– जो लोग धूम्रपान करते हैं अथवा शराब का सेवन करते हैं उनको भी इस बीमारी का खतरा हो जाता है।
लक्षण-
– हड्डियों में दर्द होने लगता है।
– मामूली चोट पर भी हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है।
– शरीर के जोडों जैसे रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में दर्द और फ्रैक्चर।
– इसके अलावा बहुत जल्दी थकान, सुबह के वक्त कमरदर्द भी इसके लक्षण होते हैं।
– पहले यह दर्द धीमा होता है लेकिन समय के साथ बढ़ता जाता है।
बचाव-
– इसके बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि 50 साल की आयु के बाद नियमित अंतराल पर एक्स-रे कराएं।
– जिसकी उम्र 50 साल से ज़्यादा है उसे व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें।
– खानपान का ख्याल रखें और ध्यान रखें खाने में सभी पोषक तत्व मौजूद हों।
इलाज-
– मरीजों को आमतौर पर विटामिन D के सैशे या टैब्लेट 6 हफ्ते दी जाती हैं।
-इसके अलावा अलेंड्रोनेट (alendronate 70 mg) हफ्ते में एक बार दी जाती है।
– दर्द बहुत ज्यादा हो तो कई बार सर्जरी भी करनी पड़ती है. इसमें इंजेक्शन से हड्ड‌ी में सीमेंट डाला जाता है।
– काइफोप्लास्टी का सहारा भी लिया जाता है. इसमें डेढ़ लाख रुपये तक का खर्च आता है।
– कई बार हड्ड‌ी को फिक्स करने के लिए भी सर्जरी की जाती है।

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