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शरद पूर्णिमा पर है खीर का विशेष महत्व, कैसे करे व्रत और पूजन

शरद पूर्णिमा की रात को चांद धरती को सबसे करीब होता है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा को चांद 16 कलाओं से संपन्न होकर अमृत वर्षा करता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।

शरद पूर्ण‍िमा को भारतीय इतिहास में बहुत अच्छा दिन माना जाता है। और इस व्रत का विशेष उल्लेख है। इसे कोजागरी व्रत भी कहते है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। धन प्राप्ति के लिए यह दिन बहुत अच्छा है। इस बार यह 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है, इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है। इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है। प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था। इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन सेहत, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है।
कैसे करे व्रत और पूजा
पूर्णिमा के दिन सुबह इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
कैसे खाये खीर
अश्विन महीने की शरद पूर्णिमा बेहद खास होती है। कहा जाता है कि इस दिन रात को खीर खुले आसमान में रखी जाती है। जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इस दिन व्रत रख कर विधि-विधान से लक्ष्मीनारायण का पूजन किया जाता है और रात में खीर बनाकर उसे रात में आसमान के नीचे रखा जाता है। इस दिन चंद्रमा की चांदनी का प्रकाश खीर पर पड़ना चाहिए। वहीं दूसरे दिन सुबह स्नान करके खीर का भोग अपने घर के मंदिर में लगाकर कम से कम तीन ब्राह्मणों को खीर प्रसाद के रूप में देकर परिवार में बांटी जाती है। इस प्रसाद को ग्रहण करने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है।

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