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शिवराज का ‘विजय रथ’ रोकने की तैयारी में कांग्रेस

भोपाल: कांग्रेस ने अंतिम क्षणों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मुकाबले में अरुण यादव को उतारकर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस शिवराज सिंह को उनके घर में घेरकर रखना चाहती है, ताकि वह दूसरे इलाकों में प्रचार न कर पाएं। साथ ही कांग्रेस यह भी बताना चाहती है कि वह शिवराज को पिछले चुनाव की तरह वॉकओवर नहीं दे रही है। बता दें कि अरुण यादव मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा वह मनमोहन सरकार में मंत्री भी रहे हैं। उनके पिता सुभाष यादव मध्य प्रदेश के कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में एक थे। खुद अरुण की युवा नेताओं में एक अच्छी पहचान है लेकिन वह करिश्माई नेता नहीं हैं। शायद यही वजह थी कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी ने उन्हें हटाकर कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी थी। इस फेरबदल की वजह से अरुण काफी नाखुश थे। उन्होंने अपनी नाखुशी का इजहार भी सार्वजनिक रूप से किया था।

अरुण की नाखुशी को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने उन्हें शिवराज के खिलाफ उतारकर यह संदेश दिया है कि वह अरुण यादव को लेकर गंभीर है। कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व में अरुण के जरिए दोहरा दांव खेला है। इस वजह से एक तो अरुण यादव बुधनी में बंधे रहेंगे तथा पार्टी को ज्यादा नुकसान नही पहुंचा पाएंगे, साथ ही यह संदेश भी जाएगा कि पार्टी शिवराज को वॉकओवर नहीं दे रही है। वहीं दूसरी ओर शिवराज के खिलाफ प्रत्याशी बनाए जाने के बाद अरुण यादव ने पार्टी नेतृत्व का धन्यवाद देते हुए दावा किया है कि वह बुधनी की जनता का विश्वास हासिल करेंगे।

शुक्रवार को अपना नामांकन करने से पहले अरुण यादव ने कहा कि शिवराज सिंह और उनके परिवार ने बुधनी को लूटा है, नर्मदा को छलनी किया है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी बड़े नेता को बड़े नेता के सामने उतारा गया है। 2003 में बीजेपी ने भी यही प्रयोग किया था। तब बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को राघोगढ़ में दिग्विजय सिंह के खिलाफ उतारा था। तब प्रदेश में कांग्रेस बुरी तरह हारी थी लेकिन शिवराज दिग्विजय को नहीं हरा पाए थे। गौरतलब है कि बुधनी से शिवराज पांचवी बार चुनावी मैदान में हैं। स्थानीय लोगों का मूड देखकर लग रहा है कि इस सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।

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